निर्बाध यौनकर्म कितना मान्य ?
के. विक्रम राव
लखनऊ: अटलांटिक सागर के पूर्व तथा पश्चिम में यौन संबंधों का पैमाना जमीन आसमान के फर्क वाला है| गौर कीजिये आज ही सुर्खी बनी है कि ब्रिटेन के दक्षिणपंथी, रूढ़िवादी पार्टी के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन पांच माह बाद अपनी महिला मित्र कैरी सैमान्ड्स की संतान के पिता बनेंगे| मगर अभी उनका पाणिग्रहण संस्कार होना बाकी है| आज सुबह यह खबर लन्दन के प्रधान मंत्री आवास (10 डाउनिंग स्ट्रीट) से राष्ट्र को मिली| कैरी तो कुंवारी हैं, उनके साथ रहती हैं| जॉनसन की कई पत्नियाँ रही हैं| और उनसे कई संताने जन्मी हैं| इसीलिए उन्हें बधाई देनेवालों का ताँता लगा है| एक ने ट्वीट किया भी कि “प्रधान मंत्री जी आपको सातवें, शायद ग्यारहवें बच्चे के जन्म लेने के पूर्व ही बधाइयाँ|”
मगर न्यूजीलैंड की बात ही कुछ अलग है| वहाँ प्रधान मंत्री सैंतीस वर्षीया जैसिंदा केट ओर्डेर्न की बेटी हुई| वे अविवाहिता हैं| उनका पुरुष मित्र क्लार्क गेफोर्ड टीवी पत्रकार है| राजधानी वेलिंगटन के प्रधान मंत्री आवास में ही दोनों सहवासी हैं| अब शादी कब करेंगे ? तय नहीं है| बेटी साल भर की होगी| नाम रखा है नीवा ओर्डेर्न गेफोर्ड| न्यूजीलैंड के ढाई लाख वोटरों ने उनकी सोशलिस्ट पार्टी का फिर भी समर्थन किया|
ब्रिटेन का प्रसंग पूरा कर लें| पत्रकार रहते जानसन ने अपनी कई पत्रकार महिला साथियों के साथ अंतरंग संबंध बनाये थे| ये सभी सर्व विदित थे| इनके नाते उन्होंने काफी ‘प्रसिद्धि’ भी पाई| तब तक “मी टू” के अभियान से मीडिया ग्रसित नहीं हुआ था| कुछ नाम जो उस समय चले उनमे खास थे पेट्रोनेल्ला वैय्याट और एन्ना फजकर्ली का| उनकी (दूसरी तलाकशुदा) पत्नी मारिना ह्वीलर की माँ (सरदारनी दीप सिंह कौर) सरगोधा (अब पाकिस्तानी पंजाब में) की थीं| इन रूमानी संबंधों पर नाटकों का मंचन भी हुआ और मीडिया में व्यंग्यात्मक लेख भी छपे| उनकी मित्र हेलेन मेकेंटायर को तो अविवाहित मातृत्व भी मिला| उनके प्रशंसकों ने जानसन की चुम्बकीय प्रतिभा पर काफी लिखा भी| उनकी भूरी लहराती जुल्फें, बिखरे, रूखे बाल, स्वर्णिम कपोल और गहरी नीली आँखें तुरंत ध्यान खींचती हैं| जॉन्सन की समानता अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से होती है| हालाँकि ट्रम्प ने अपनी महिला मित्रों से रिश्तों को गोपनीय कभी नहीं रखा|
क्या संयोग है कि युरोपीय यूनियन से ब्रिटेन को अलग करने के समर्थन में जॉनसन ने कहा था कि इससे ब्रिटेन की जनसंख्या बढ़ेगी| फिलवक्त प्रारम्भ तो प्रधानमन्त्री ने अपने घर से कर ही दिया|
इस सन्दर्भ में भारत का उदाहरण पेश कर दें| आजीवन अविवाहित रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था, “मैं ब्रह्म्चारी नहीं हूँ|” बल्कि एक इंटरव्यू में एक महिला रिपोर्टर ने उनसे पूछा : “और आखिरी सवाल |अभी तक आप ने शादी क्यों नहीं की ? जवाब भी सवालिया था| अटल जी ने पूछा : “देवी जी, आपका यह प्रश्न है, या प्रस्ताव ?” कुछ ऐसी बात राजनारायण जी ने अपने सोशलिस्ट साथी फ़र्नान्डिस के बारे में (लैला कबीर से शादी के पूर्व) कहा था कि , “जॉर्ज केवल गैरशादीशुदा हैं|”
यहाँ विचारक डॉ. राममनोहर लोहिया की उक्ति याद आती है कि “अविवाहित युगल की बस एक स्वस्थ संतान राष्ट्र के लिए ज्यादा उपयोगी है, बनिस्बत विवाहित दम्पति के आधा दर्जन कमजोर पिल्लों के|”
लेकिन अपने बलहीन पतियों के लिए संघर्षरत सावित्री तथा दमयंती ही भारत की नारियों का आदर्श हैं| पांचाली नहीं| तो अब जाबाला को प्रश्रय कहाँ मिलेगा? गुरुकुल में गुरूजी ने सत्यकाम से पूछा कि इसके पिता का नाम क्या है ? तो जाबालापुत्र का उत्तर था कि माताश्री ने केवल माँ का नाम बताने को कहा था| आश्रम के कई साधुओं की सेवा जाबाला कर चुकी थी| किसका नाम लेती ?
मुम्बई हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मृदुला भटकल ने 2011 में और उच्चतम नयायालय ने 2014 में निर्णय दिया था कि पिता का नाम बताना अनिवार्य नहीं है| नारी अकेली है तो उसपर कोई बाध्यता नहीं हैं| अर्थात् भारत भी अब नरनारी की गैरबराबरी की समाप्ति की ओर कूच कर चुका है| सप्तक्रांति का यह खास पायदान है|
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एंव प्रतिष्ठित स्तंभकार हैं।)
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