करीब 500 साल बाद बन रहा है होली पर ये शुभ संयोग, सभी के जीवन में आयेंगी खुशियां
रंगों का उत्सव होली 10 मार्च को देश और दुनियाभर में खेली जाएगी। वैसे हिंदू धर्म में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं, सभी को सौभाग्य और समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है और होली पर्व भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन करने के बाद अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। इस साल की होली बेहद खास है। खास इसलिए, क्योंकि इस बार तकरीबन 500 साल बाद होली में शुभ संयोग बन रहा है।
इस बार होली के खास मौके पर ग्रह-नक्षत्रों का बेहद खास संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 499 साल बाद बना है। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च को है। इस दौरान गुरु बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे। जिसे सुख-समृद्धि और धन-वैभव के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। देवगुरु धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इससे पहले ग्रहों का यह संयोग 3 मार्च 1521 में बना था।
एक ओर गुरु बृहस्पति जहां जहां ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ती के प्रतिनिधि हैं तो वहीं शनि न्याय के देवता हैं। शनि का फल व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार मिलता है। अर्थता यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो उसे अच्छे फल और बुरे कार्य करता है तो शनि उसे विभिन्न रूप में दंडित करता है। होली पर इन दोनों ग्रह की शुभ स्थिति किसी शुभ योग से कम नहीं है।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक दोनों ग्रहों की यह स्थिति बेहद ही शुभ है। रंगों के उत्सव होली के त्योहार को प्रेम-सद्भावना, भाईचारा और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस बार ग्रहों के खास संयोग के कारण रंगों का यह त्योहार सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देने वाला होगा। होली के रंग सभी के जीवन में खुशियां लाएंगे और होलिका दहन से आपके कष्ट दूर होंगे।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
9 मार्च, सोमवार को होलिका दहन किया जाएगा
संध्या काल में- 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक
भद्रा पुंछा – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक
भद्रा मुखा : सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक