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करोड़ों का मनरेगा घोटाला, लोकायुक्त के सामने बड़ा खुलासा

acr468-54df41542c07314lkhph1दस्तक टाइम्स/एजेंसी. हरियाणा :  करोड़ों रुपये के मनरेगा घोटाले में लोकायुक्त के सामने वो चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जानकर उनके होश उड़ गए। अंबाला के मनरेगा घोटाले को लेकर हरियाणा के रजिस्ट्रार लोकायुक्त के समक्ष सुनवाई हुई।

इस दौरान आरोपी अफसरों ने अपने वकील के जरिये जवाबी दावा पेश कर दिया, लेकिन इस मामले की जांच कर रहे विजिलेंस ब्यूरो (अंबाला) के एसपी हमीद अख्तर ने रजिस्ट्रार लोकायुक्त को बताया कि इस घोटाले में नामजद सभी नौ आरोपी अधिकारी फरार हैं।

उन्होंने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अंबाला कोर्ट से वारंट जारी कराए गए थे। रजिस्ट्रार लोकायुक्त ने एसपी हमीद अख्तर के हलफनामे को रिकार्ड पर लेकर सभी आरोपियों के तलाशी वारंट अंबाला कोर्ट से जारी करवाने के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने जांच अधिकारी को आगामी 26 अक्तूबर को लोकायुक्त कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।

मामले की अगली सुनवाई लोकायुक्त स्वयं करेंगे। इस बीच, प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से कार्यालय अधीक्षक राजेंद्र गुप्ता व अनिल डागर ने मामले में बुधवार को रजिस्ट्रार लोकायुक्त के समक्ष पेश होकर जानकारी दी कि आरोपी आईएएस व एचसीएस अधिकारियों से सरकार ने स्पष्टीकरण मांगा है, जो फिलहाल सरकार के पास विचाराधीन है। 

पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने साल 2007-2010 के बीच अंबाला में मनरेगा परियोजना के तहत करोड़ों रुपये के घोटाले को उजागर करते हुए लोकायुक्त से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की थी।

लोकायुक्त को दी अर्जी में कहा गया था कि अंबाला के तत्कालीन एडीसी संजीव वर्मा व वजीर सिंह गोयत की ओर से मामले में की गई जांच में घोटाला सामने आने के बावजूद अंबाला के तत्कालीन डीसी समेत चार उच्चाधिकारियों ने वन विभाग को करोड़ों रुपये के चेक आवंटित कर दिए।

केस की विजिलेंस जांच में पाया गया कि अंबाला के तत्कालीन डीसी ने बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के ही वन विभाग के अधिकारियों को चेक जारी कर भुगतान करवा दिया। मामले की जांच रिपोर्ट तत्कालीन डीजीपी विजिलेंस शरद कुमार ने हरियाणा सरकार को 16 नवंबर, 2012 को सौंप दी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ हरियाणा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।

शिकायतकर्ता ने 12 जनवरी, 2015 को सीएम विंडो पर इसकी शिकायत दी तो हरियाणा सरकार ने वन विभाग के मुख्य आरोपी अधिकारी, डीएफओ (टी) अंबाला मंडल सहित नौ लोगों के खिलाफ 27 जनवरी, 2015 को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। बावजूद इसके सरकार की ओर से नामजद अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले में सरकार की कार्यशैली के खिलाफ कपूर ने 30 जनवरी, 2015 को लोकायुक्त के समक्ष शिकायत दाखिल कर दी।

 

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