कोरोना वायरस से पीड़ितों ने बतायी अपनी आपबीती
नई दिल्ली। चीन के वूहान शहर से शुरू हुआ जानलेवा कोरोना वायरस अब तक हजारों लोगों की जान ले चूका हैं। ये वायरस भारत सहित कई देशों में पैर पसार रहा हैं। जो चिंता का विषय हैं। भारत में व्यापक रूप से वॉयरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया हैं। और कई धार्मिक स्थलों सहित कई प्रतिष्ठानों को बंद किया गया हैं ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके।
इस संक्रमण की चपेट में आये कई मरीजों ने अपनी बातें जाहिर की हैं। पीड़ितों ने अपने अनुभवों को साझा किया। जैमुआए साए उंग नाम के एक थाईलैंड निवासी ने बताया कि उसे काफी थकावट महसूस होती थी और कुछ भी खाने का मन हीं करता था।
25 साल के कैनोर रीड चीन के वुहान शहर में स्थित एक स्कूल में कार्यरत हैं। कोरोना वायरस के शिकार हो चुके कैनोर ने एक डायरी में कोरोना वायरस के दौरान मिले दर्द की कहानी लिखी है। उन्होनें बताया कि वायरस की चपेट में आने के बाद उन्हें साइनेस जैसा दर्द रहता था। नाक के ऊपर सिर में हर वक्त तेज दर्द होता था। कैनोर ने बताया कि उसे कान में हमेशा दबाव जैसा कुछ महसूस होता था।
कैनोर ने लोगों को कोनों में होने वाली इस अजीब सी चुभन से निजात पाने के लिए ईयरबड का इस्तेमाल न करने की भी सलाह दी है। कैनोर ने कोरोना वायरस के जिन लक्षणों को साझा किया उनमें आंखों में तेज जलन होना भी शामिल है। ये जलन बिल्कुल वैसी है जैसा आप स्मोक या स्मॉग के दौरान महसूस करते हैं। एक अन्य कोरोना वायरस सर्वाइवर केविन हैरिस ने बताया कि इसमें काफी तेज सिरदर्द होता था।
ये आम सर्दी-जुकाम में होने वाले सिरदर्द जैसा ही होता है। उनका कहना है कि ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेकर इबोप्रोफेन की जगह पैरासिटामोल लेना बेहतर विकल्प है। एंड्रूयू ओ ड्वॉयर नाम के एक मरीज ने गले में दर्द और थूक में बार-बार बलगम आने के बारे में बताया। इस दौरान उसका गला काफी सूझ गया था और उसमें दर्द काफी ज्याद बढ़ चुका था। इलिजाबेथ स्नाइडर नाम की एक कोरोना वायरस पीड़ित ने बताया कि जुकाम और बुखार के अलावा भी उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। उसके जोड़ों में हमेशा दर्द रहता था। घुटने, कलाई, कंधा और कोहनी का हिस्सा हमेशा दुखता रहता था।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को ट्वीट कर कहा है कि जल्द ही कोविड-19 के इलाज के लिए दवा का मिलना संभव हैं। जल्द ही हाइड्रोक्लोरोक्वीन और एजीथ्रोमाइसिन को जोड़कर एक दवा बनाई जा सकती है जो मेडिसन के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। हालांकि उन्होंने कहा है कि एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से इसे मान्यता नहीं मिली है।
उल्लेखनीय है कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन मलेरिया से लड़ने वाली दवा है और एजीथ्रोमाइसिन एक एंटीबायोटिक है। अमेरिका में 13000 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं।