कोरोना वायरस: मालगाड़ियां से लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं दूध, सब्जियां और जरूरी चीजें
नई दिल्ली: कोरोना लॉकडाउन के दौरान यात्री ट्रेन सेवाएं भले स्थगित हैं, लेकिन जरूरी चीजों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए मालगाड़ियों का संचालन बदस्तूर जारी है। मालगाड़ियों के संचालन से जुड़े हजारों रेलवे कर्मचारी सामाजिक दूरी समेत कोरोना वायरसरोधी अन्य उपायों के साथ पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। रेलवे ने सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण इन मुस्तैद कर्मचारियों की आवाजाही में किसी प्रकार की बाधा न डालें और मुश्किल के इन क्षणों में उनके साथ सहयोग करें।
रेल मंत्रालय की ओर से मंगलवार को इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि रेलवे के बारे में मीडिया की तमाम खबरों से ऐसा प्रतीत होता है मानो रेल यातायात पूरी तरह बंद हो गया है। ऐसा नहीं है। लॉकडाउन के तहत रेलवे ने केवल यात्री ट्रेनों का संचालन 31 मार्च तक के लिए बंद किया है, जबकि माल ढुलाई तथा जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए ज्यादातर मालगाड़ियों का संचालन बदस्तूर जारी है। इनसे संबंधित अधिकांश रेलवे कर्मचारी भी अपना काम कर रहे हैं और पहले की तरह ड्यूटी पर आ-जा रहे हैं।
हालांकि, लॉकडाउन के कारण औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियां बंद होने के कारण पहले जैसी माल ढुलाई नहीं हो रही है, लेकिन जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित रखने के लिए आवश्यक मालगाड़ियों का संचालन किया जा रहा है। रेलवे की ओर से जरूरी चीजों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं और मालगाड़ियों का संचालन चौबीसों घंटे, सातों दिनों के आधार पर हो रहा है।
राज्यों में लॉकडाउन के इस दौर में भी रेलवे के विभिन्न गुड्स शेड्स, स्टेशनों तथा कंट्रोल आफिसों में कर्मचारी यथासंभव अपना नियमित दायित्व पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। मालगाड़ियों में जरूरी वस्तुओं का लदान करने, उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने तथा टर्मिनल स्टेशनों पर सामान उतारने का काम जारी है। इसका प्रमाण यह है कि 23 मार्च को कुल 891 रैकों का लदान किया गया। इनमें 563 रैकें अनाज, नमक, खाने वाला तेल, चीनी, दूध, फल-सब्जी, प्याज, कोयला तथा पेट्रोलियम उत्पाद जैसी आवश्यक वस्तुओं से संबंधित थीं। बाकी 328 में 121 लौह अयस्क, 48 स्टील, 25 सीमेंट, 28 उर्वरक की रैकें तथा 106 कंटेनर शामिल हैं।
इनकी आगे सड़क मार्ग से ढुलाई के लिए राज्य सरकारों के साथ समुचित समन्वय के इंतजाम किए गए हैं, ताकि आवश्यक वस्तुएं बिना किसी देरी के समय पर उपभोग केंद्रों तक पहुंच जाएं।यही नहीं, मुश्किल हालात को देखते हुए रेलवे ने माल एवं पार्सल पर लगने वाले डेमरेज एवं वार्फेज शुल्क की दरों को भी 30 अप्रैल तक के लिए घटाकर आधा कर दिया है। साथ ही सामान एवं कंटेनर से संबंधित दरों की नीति की वैधता अवधि को भी बढ़ा दिया है। इस दौरान खाली कंटेनरों के यातायात पर कोई भी हॉलेज चार्ज नहीं वसूला जाएगा।
वैगन की लोडिंग-अनलोडिंग के फ्री टाइम के साथ रेलवे परिसरों से सामान हटाने की अवधि को भी 31 मार्च तक दोगुना करने का निर्णय लिया गया है। माल यातायात की निगरानी के लिए रेल मंत्रलय में एक इमरजेंसी फ्रेट कंट्रोल भी बनाया गया है, जहां रेलवे बोर्ड के अधिकारी आवश्यक वस्तुओं की सुचारु आवाजाही सुनिश्चित कर रहे हैं। सामान्य दिनों में रेलवे रोजाना करीब 9,000 मालगाड़ियों का संचालन करता है।