मां विंध्यवासिनी करेंगी ‘कोरोना’ का महाविनाश
बलरामपुर। आतंक का पर्याय बने नाेवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से देश दुनिया को मुक्ति दिलाने की मनोकामना के साथ लाखों श्रद्धालु बुधवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र के मौके पर शक्ति की देवी की अराधना करेंगे।
कोविड 19 के संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिये राज्य के सभी जिलों में 27 मार्च तक लाकडाउन किया गया है जिसके चलते इतिहास में संभवत: पहली बार शक्तिपीठों समेत सभी प्रमुख देवी मंदिरों के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिये बंद रहेंगे। लोगों ने महामारी को दैवीय प्रकोप समझते हुये माना है कि मां आदि भवानी के आगमन के साथ देश को इस संकट से मुक्ति मिलनी शुरू हो जायेगी।
मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी, बलरामपुर में देवी पाटन समेत प्रदेश में अन्य शक्तिपीठों के अलावा देवी मंदिरों में नवरात्र की तैयारी पूरी कर ली गयी है हालांकि श्रद्धालुजन मां की आराधना अपने घरों में करेंगे और धूप दीप नैवेद्य से मां भवानी की स्तुति करेंगे।
अलग अलग शहरों में स्थित प्रमुख देवी मंदिरो की साफ सफाई का काम पूरा हो चुका है और इस बार अधिकतर मंदिरों को काेरोना के संक्रमण से बचाने के लिये बाकायदा सैनीटाइज भी किया गया है। नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित 51 शक्तिपीठों मे एक माँ पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में दर्शन लाभ से श्रद्धालु भले ही वंचित होंगे देवीभक्त कोरोना जैसे महाअसुर को समाप्त करने के लिये मां पाटेश्वरी की घरों में उपासना कर मनोकामना मांग रहे है l
देवीपाटन मंदिर में महंत मिथलेश नाथ योगी और पुजारी आरती हवन पूजन कर जनकल्याण , विश्वकल्याण और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा के लिये अरदास लगा रहे है। महंत मिथलेश नाथ ने बताया कि तुलसीपुर तहसील क्षेत्र के पाटन गांव मे सिरिया नदी के तट पर स्थित है l देवी पाटन मंदिर मे मुख्य रुप से माँ पाटेश्वरी की पुष्प ,नारियल ,चुनरी ,लौंग ,इलायची कपूर व अन्य पूजन सामग्रियां चढाकर पूजा अर्चना की जाती है। देवीभक्त यहाँ स्थित सूर्य कुंड मे पवित्र स्नान कर पेट पलनिया चलकर माँ के दर्शन करते है।
मिथलेश नाथ के अनुसार ,पिता दक्ष प्रजापति के यहाँ आयोजित बड़े अनुष्ठान मे अपने पति देवाधिदेव महादेव को न्योता और स्थान न दिये जाने से क्षुब्ध माँ जगदम्बा ने स्वयं को अग्नि को भेंट कर सती कर लिया था। माता के सती होने से आक्रोशित महादेव अत्यंत दुखी हुये और माता सती के शव को कंधे पर रखकर तांडव करने लगे। शिव तांडव से धरती थर्राने लगी। इससे संसार मे व्यवधान उत्पन्न होने लगा। संसार को विनाश से बचाने के लिये भगवान विष्णु ने सती के अंगो को सुदर्शन चक्र से खण्डित कर दिया। विभिन्न इक्यावन स्थानों पर गिरा दिया जिन जिन स्थानों पर माता के अंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ माने गये।
पाटन गांव मे माँ जगदम्बा का बांया स्कंद पाटम्बर समेत गिरा, तभी से इस शक्तिपीठ को माँ पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहाँ एक गर्भगृह भी स्थित है जहाँ माता सीता का पाताल गमन हुआ था। नव दुर्गाओ माँ शैलपुत्री ,कुष्माडा, स्कंदमाता, कालरात्रि ,महागौरी, चंद्रघंटा, सिद्धदात्री, ब्रह्म्चारिणीऔर कात्यायनी की प्रतिमायें मंदिर मे स्थापित है। मंदिर मे स्थित गर्भगृह सुरंग पर माँ की प्रतिमा विद्यमान है। यहाँ कई रत्नजडित छतर है। ताम्रपत्र पर दुर्गा सप्तशती अंकित है। मंदिर मे स्थापना काल से ‘अखंड ज्योति’ प्रज्जवलित है।