हरियाणा के मुख्यमंत्री ने की मेडिकल स्टाफ के लिए घोषणा
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अहम घोषणा करते हुये कहा है कि राज्य के निजी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और अन्य कर्मचारियों को भी सरकारी क्षेत्र में काम करने वालों की तर्ज पर मुआवजे का लाभ दिया जाएगा।
श्री खट्टर ने टेलीविज़न के माध्यम से राज्य के लोगाें को सम्बोधित करते हुये किसानों द्वारा लिए गए फसली ऋण की किश्त की तारीख 15 अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून 2020 तक बढ़ाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और अन्य स्टाफ को भी क्रमश: 50 लाख रुपये, 30 लाख रुपये, 20 लाख रुपये और 10 लाख रुपये के मुआवजे का लाभ मिलेगा बशर्ते वे भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए 50 लाख रुपये के नए बीमा कवर में नहीं आते हैं।
इससे पहले गत 23 मार्च को, मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स के लिए, चाहे वे नियमित हों, तदर्थ, आउटसोर्स या अनुबंध पर कार्यरत हों और राज्य में कोविड परीक्षण प्रयोगशाला, कोरोना पॉजिटिव रोगियों को ले जाने वाली एम्बुलेंस या सरकारी अस्पतालों में स्थापित आईसोलेशन वार्ड में काम कर रहे कर्मियों के लिये मुआवजे की घोषणा की थी। उन्होंने निजी अस्पतालों से आग्रह करते हुए कहा कि वे कोरोना प्रभावित रोगियों को चिकित्सा देखभाल से मना न करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब राज्य में किसान अप्रैल 15, 2020 के बजाय 30 जून, 2020 तक फसली ऋण की किश्त चुकाने में सक्षम होंगे। इसके साथ ही, उन्हें ब्याज की आर्थिक सहायता का लाभ भी मिलेगा। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा गरीबों, किसानों और चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के लिए घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज से हरियाणा को फायदा होगा, लेकिन राज्य ने भी कुछ राहत उपायों की भी घोषणा की है जोकि केंद्र के इस राहत पैकेज के अंतर्गत नहीं आते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना के लाभार्थियों को पहले से ही 4000 रुपये की वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हो गई है। इसी तरह, 3.50 लाख निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों के बैंक खातों में 1000 रुपये प्रति सप्ताह की राशि हस्तांतरित कर दी गई है और कुल मिलाकर, अब तक 250 करोड़ रुपये ऐसे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस महीने के लिए 1500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जो लाभार्थियों को वित्तीय सहायता के रूप में खर्च किया जाना है।
श्री खट्टर के अनुसार कोरोना से लड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थापित कोरोना राहत कोष में अब तक 24 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों से भी अपील की है कि वे अपने मूल वेतन के एक हिस्से का उदारतापूर्वक योगदान करें और कर्मचारी इस उद्देश्य के लिए शुरू किए गए एक पोर्टल पर अपना योगदान दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक 46,000 से अधिक कर्मचारियों ने 24 करोड़ रूपए से अधिक के योगदान के लिए इस पोर्टल पर फॉर्म भरे हैं। इस सम्बंध में दो अप्रैल, 2020 तक अपनी सहमति देने की अंतिम तिथि है, बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने मांग की है कि तिथि को और आगे बढ़ाया जाए क्योंकि बड़ी संख्या में बोर्ड, निगमों और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों ने भी इस कोष में योगदान देने की अपनी इच्छा व्यक्त की है।