रोग और शोक से रक्षा करती हैं मां कूष्मांडा
दस्तक टाइम्स/एजेंसी : देवी कूष्मांडा भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त कर आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। यह मां जगदंबा का चतुर्थ स्वरूप है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सर्वत्र अंधकार व्याप्त था तब मां ने अपने हास्य से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। मां कूष्मांडा के पूजन से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। वे साधक को आयु, यश, बल और स्वास्थ्य का वरदान देती हैं। इनकी आठ भुजाएं हैं। मां के सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र एवं गदा हैं। आठवें हाथ में सर्वसिद्धियां प्रदान करने वाली जपमाला है। मां कूष्मांडा शिव की तरह ही शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
कवच- हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥