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एचआईवी किट पहनकर मरीजों का हो रहा इलाज


लखनऊ। सरकार ने निजी अस्पताल खोले रखने का आदेश दिया है। इन अस्पतालों में सर्दी-खांसी, जुकाम-बुखार के मरीज भी आ रहे हैं। ये कोरोना संदिग्ध भी हो सकते हैं। इसके बावजूद निजी अस्पताल के डॉक्टर बिना पर्सनल प्रॉटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट के ऐसे मरीजों का इलाज कर रहे हैं। बाजार में इस किट की सप्लाई न होने के कारण डॉक्टर एचआईवी किट और सर्जिकल गाउन पहनकर ऐसे मरीज देख रहे हैं।

एसकेडी हॉस्पिटल के डॉ. आशीष सिंह ने बताया कि अस्पताल में बुखार और कफ समेत सांस के रोगी भी आ रहे हैं। ये कोरोना संदिग्ध हो सकते हैं। ऐसे में संक्रमित होने का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए एचआईवी किट का प्रयोग कर रहे हैं। यह पीपीई किट की तरह तो नहीं, लेकिन बिना किट के जाने से बेहतर है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

हेल्थ सिटी अस्पताल के डॉ. संदीप कपूर ने बताया कि हमारे यहां हेपेटाइटिस बी, सी समेत कई ऐसे ऑपरेशन किए जाते हैं। इसमें इंफेक्शन का खतरा होता है। ऐसे में पीपीई किट न मिलने पर सर्जिकल गाउन पहन कर फीवर और कफ के मरीज देख हैं। सर्जिकल गाउन पीपीई किट जितनी सुरक्षित नहीं है, लेकिन काफी हद तक बचाव कर रही है।

सुमित्रा आई केयर ऐंड मैटर्निटी सेंटर की डॉ. तृप्ति बंसल ने बताया कि ज्यादातर प्रसूताओं का फोन पर ही इलाज कर रहे हैं। जिनकी डिलीवरी होनी होती है या इमरजेंसी है, उन्हें ही बुला रहे है। इन हालात में भी सुरक्षा चाहिए। ऐसे में एचआईवी किट पहनकर डिलवरी करवा रहे हैं।

इसमें चेहरा ढंकने के लिए चश्मे तो होते हैं, लेकिन चेहरे को पूरी तरह कवर करने का इंतजाम नहीं होता। इससे शरीर का कुछ हिस्सा खुला रह जाता है।
यह पूरे शरीर को ढंकती है। इसमें ग्लव्ज, कैप, गॉगल, एन-95 मास्क, थ्री लेयर गाउन, शूज और शूज कवर भी होते हैं ताकि वायरस स्वास्थ्यकर्मियों के शरीर के किसी भी अंग के सीधे संपर्क में न आ पाए।

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