कोरोना आपदा के कारण 40 मिलियन भारतीय मजदूर प्रभावित, विश्व बैंक ने जताई चिंता
विवेक ओझा
नई दिल्ली: देश के अंदर और देश के बाहर प्रवास वर्तमान विश्व की सबसे बड़ी सच्चाइयों में से एक है । प्रव्रजन को आम तौर पर समृद्धि का उपकरण माना जाता है , लेकिन प्रव्रजन किसी महामारी के समय कैसे वैश्विक सामाजिक आर्थिक चिंता का विषय बन जाता है , इसे वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है । वर्ल्ड बैंक ने 22 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट कोविड-19 क्राइसिस थ्रू माइग्रेशन लेन्स में बताया है कि कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से भारत में 40 मिलियन प्रवासी ( माइग्रेंट्स ) प्रभावित हुए हैं । प्रवासी कामगारों के सामने खड़े इस संकट से रोजगार , आजीविका छिन गई है और इसके छिनने का संकट बढ़ भी गया है । रिपोर्ट में माना गया कि आंतरिक प्रवासी ( इंटरनल माइग्रेंट्स ) संकट में हैं।
इस रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि लगभग 50 हजार से 60 हजार आंतरिक प्रवासी शहरी केंद्रों से अपने मूल स्थान वाले ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ जा चुके हैं। वर्ल्ड बैंक ने यह भी कहा है कि आंतरिक प्रवास अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास से ढाई गुना अधिक देखा गया है । लैटिन अमेरिका के भी कई देशों में आंतरिक प्रवास की चुनौतियां देखी गई हैं। वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते लैटिन अमेरिका के कई देशों में बड़े पैमाने पर आंतरिक प्रवासियों को वापस लौटना पड़ा है और मानव और सामाजिक पूंजी को क्षति पहुंची है । रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह कोविड-19 की रोकथाम के उपायों ने इस महामारी को फैलाने में योगदान दिया है।
इस रिपोर्ट में अपेक्षा की गई है कि सरकारों को नकदी हस्तांतरण तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए इन प्रवासियों की मदद करनी चाहिए। रिपोर्ट में चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि कोरोना वायरस संकट ने दक्षिण एशिया में अन्तर्राष्ट्रीय और आंतरिक, दोनों प्रवास को प्रभावित किया है।
वर्ल्ड बैंक का इसी रिपोर्ट में यह भी कहना है कि भारत में वर्ष 2019 में ऐसे अकुशल प्रवासी जो अनिवार्य प्रव्रजन के लिए अनिवार्य मंजूरी की तलाश में थे, उनकी संख्या में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह आंकड़ा 368048 था वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में वर्ष 2019 में प्रवासियों की संख्या में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो कि कुल 625203 था और इसके पीछे मुख्य कारण सऊदी अरब में पाकिस्तान की तरफ से होने वाले प्रव्रजन का दोगुना हो जाना था। वर्ल्ड बैंक का मत है कि आंतरिक प्रवास में गिरावट की संभावना है लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रवास गतिविधियों में तत्काल अधिक कमी आ जाए ऐसा नहीं है, क्योंकि प्रवासी अपने गृह देशों में यात्रा प्रतिबंधों और परिवहन सेवाओं के बाधित होने के चलते वापस जा पाने में असमर्थ हैं। वर्ष 2019 में लगभग 272 मिलियन अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासी ( इंटरनेशनल माइग्रेंट्स) थे।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में यह भी पहचान की गई है और कहा गया है कि वॉलंटरी रिटर्न माइग्रेशन ( स्वैच्छिक रूप से वापसी हेतु प्रव्रजन) में भी गिरावट की संभावना है । कुछ सीमा- पार माइग्रेशन कॉरिडोर्स जैसे वेनेजुएला- कोलंबिया, नेपाल- भारत, जिम्बाब्वे – दक्षिण अफ्रीका और म्यांमार – थाईलैंड को छोड़कर स्वैच्छिक प्रवास में कमी आएगी । विश्व बैंक ने राष्ट्रीय सरकारों से अनुरोध किया है कि वह फंसे हुए प्रवासियों, रेमिटेंस अवसंरचना, आजीविका और आय की क्षति, स्वास्थ्य सुविधाओं, आवास, शिक्षा , मेजबान देश में प्रवासी कामगारों के रोजगार आदि संदर्भ में लघु , मध्यम, और दीर्घकालिक हस्तक्षेप कर सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को और मजबूती देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें।
वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि इस महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स की कमी अाई है , जो चिंताजनक है । इसलिए वैश्विक स्वास्थ्य अवसंरचना , स्वास्थ्य निवेश , स्वास्थ्य प्रशिक्षण के क्षेत्रों में राष्ट्रों के मध्य आपसी सहयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
(लेखक राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय मामलो के विशेषज्ञ हैं।)