श्रमिक और प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च उठाएगी पार्टी: सोनिया गांधी
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन में कई राज्यों में प्रवासी मजदूर फंस गए थे, जिन्हें अब उनके गृह राज्य भेजा जा रहा है। अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन का किराया न लिया जाए, लेकिन माना नहीं गया। इसलिए अब कांग्रेस ने ऐसे फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की है कि पार्टी की प्रत्येक राज्य कांग्रेस कमेटी जरूरतमंद श्रमिक और प्रवासी मजदूरों की रेल यात्रा का खर्च उठाएगी और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगी।
कांग्रेस ने जारी बयान में कहा कि श्रमिक वा कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव हैं। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। 1974 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देख कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन। उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी। कांग्रेस ने श्रमिकों व कामगारों के लिए निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है। दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने। इसलिए, कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी।