8 मई : अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस को मनाने के मायने
रेडक्रॉस दिवस पर विशेष
स्तम्भ: आज विश्व रेडक्राॅस दिवस है। पूरी दुनिया में यह दिवस इस बात का सूचक है कि मानवता को बचाने के लिए मानवों को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।
रेडक्रॉस के जनक जॉन हेनरी डिनैंट का जन्म आज के ही दिन 8 मई, 1828 को हुआ था। उनके जन्मदिन को ही विश्व रेडक्रॉस दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1901 में हेनरी डिनैंट को उनके मानव सेवा के कार्यों के लिए पहला नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था। उनके योगदान को देखते हुए प्रतिवर्ष 8 मई को विश्व रेडक्रॉस दिवस मनाया जाता है।
रेड क्रॉस की स्थापना 1863 में हुई थी। यह संगठन सशस्त्र हिंसा और युद्ध में पीड़ित लोगों एवं युद्धबंदियों के लिए काम करती है। यह उन कानूनों को प्रोत्साहित करती है जिससे युद्ध पीड़ितों की सुरक्षा होती है। इसका मुख्यालय जेनेवा , स्विटजरलैंड में है। आईसीआरसी को दुनिया भर की सरकारों के अलावा नैशनल रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज की ओर से फंडिंग मिलती है।
कैसे आया रेड क्रॉस का विचार
रेड क्रॉस का विचार स्विटजरलैंड के एक उद्यमी जॉन हेनरी डिनैंट से आया। 1859 में वह फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे। उन दिनों अल्जीरिया पर फ्रांस का कब्जा था। डिनैंट को उम्मीद थी कि अल्जीरिया में व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने में नेपोलियन उनकी मदद करेंगे। लेकिन डिनैंट को सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला। इसी बीच वह इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा।
एक ही दिन में उस युद्ध में 40,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए और घायल हुए। किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा सुविधा और चिकित्सकों की कोई कोर टीम जैसा कुछ उपलब्ध नहीं था। डिनैंट ने स्वंयसेवकों के एक समूह को संगठित किया। उन लोगों ने घायलों तक खाना और पानी पहुंचाया। घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखा।
इस घटना के तीन वर्ष पश्चात डिनैंट ने अपने इस दुखद अनुभव को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया। पुस्तक का शीर्षक था ‘अ मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो’। डिनैंट ने इस युद्ध के भयावह दृश्य के बारे में अपनी किताब में विस्तार से लिखा।
पुस्तक में इस बात का उल्लेख था कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले लोग दर्द से चीख रहे थे। उनको देखने के लिए कोई ना था , वे रक्त से लथपथ थे। अपनी किताब के अंत में डिनैंट ने एक स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया था। ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके। ऐसी सोसायटी जो हर नागरिकता के लोगों के लिए काम करे। उनके इस सुझाव पर अगले ही साल अमल किया गया।
फरवरी, 1863 में जेनेवा में पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने एक कमिटी का गठन किया। उस कमिटी में स्विटजरलैंड के पांच नागरिक शामिल थे। कमिटी को हेनरी डिनैंट के सुझावों पर गौर करना था।
कमिटी के पांच सदस्यों का नाम इस तरह से है, जनरल ग्यूमे हेनरी दुफूर, गुस्तावे मोयनियर, लुई ऐपिया, थिओडोर मॉनोइर और हेनरी डिनैंट खुद। ग्यूमे हेनरी दुफूर स्विटजरलैंड की सेना के जनरल थे। एक साल के लिए वह कमिटी के अध्यक्ष रहे और बाद में मानद अध्यक्ष। गुस्तावे युवा वकील थे और पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष थे। उसके बाद से उन्होंने अपने जीवन को रेड क्रॉस कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। लुई और थिओडोर चिकित्सक थे।
भारत में इसकी स्थापना
दुनिया के लगभग 210 देश इस संस्था से जुड़े हुए हैं। भारत में रेड क्रॉस सोसाइटी की स्थापना साल 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के अनुसार की गई। भारत में रेडक्रॉस सोसाइटी की 700 से भी अधिक शाखाएं हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी के सिद्धांतों को मान्यता साल 1934 में 15वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मिली, जिसके बाद इसे दुनियाभर में लागू किया गया।