बढ़ती उम्र में कैसे रहें स्वस्थ और मस्त
दस्तक टाइम्स/एजेंसी : वृद्धावस्था का भय केवल आज की समस्या नहीं है बल्कि हजारों वर्ष पहले रचित आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहिता में भी इसके संकेत मिलते हैं।
चरक संहिता के रसायन प्रकरण में वर्णित ‘पंचमहरीतक्यादि’ योग का एक प्रयोजन वृद्धावस्था के भय से मुक्ति भी है।
च्यवन ऋषि की वृद्धावस्था दूर करने के कारण ही च्यवनप्राश एक श्रेष्ठ रसायन के रूप में प्रसिद्ध हुआ। आयुर्वेद के आठ अंगों में से एक शाखा रसायन, वृद्धावस्था को दूर करने पर ही केंद्रित है।
क्यों डर लगता है वृद्धावस्था से
शांर्गधर संहिता के अनुसार सौ वर्ष की जिंदगी के अंतिम 3 दशक में क्रमश: विक्रम, ज्ञानेन्द्रिय के कर्मों का क्षय व कर्मेन्द्रियों के कार्य का ह्रास होता है। चरक के अनुसार वृद्धावस्था में इन्द्रिय, बल, पौरुष, पराक्रम, ग्रहण, धारण व स्मरणशक्ति प्रभावित होते हैं।
नींद कम आती है। शुक्रक्षय के 8 कारणों में वृद्धावस्था भी शामिल है। जठराग्नि कम होने से भोजन कम मात्रा में खाया जाता है। धातुक्षय के कारण वात संबंधी व्याधियां होने की आशंका बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में वृद्धावस्था में व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक क्षमता कम हो जाती है।
चिकित्सा भी सुगम नहीं
वृद्ध पंचकर्म के कुछ वमन (उल्टी कराना), विरेचन (दस्त लगाना) व नस्या कर्म (नाक में तेल व चूर्ण डालना) उपक्रम के योग्य नहीं होते। 70 वर्ष के बाद पुरुष को वाजीकरण का प्रयोग भी निषेध होता है। जो रोग युवावस्था में आसानी से ठीक होते हैं वृद्धावस्था में वही रोग कठिनाई से दूर होते हैं। शरीर तेज औषधियों को सहने में असमर्थ होता है।
अकाल वृद्धावस्था से बचें
वृद्धावस्था अच्छी रहे इसके लिए जरूरी है कि योजना पहले ही बना ली जाए। आंवला व अनार को छोड़कर खट्टी वस्तुओं व सेंधा नमक को छोड़कर शेष लवण के अधिक प्रयोग से वृद्धावस्था शीघ्र आती है। इनके प्रयोग से बचें। रोजाना तेल मालिश व मुखलेप का प्रयोग वृद्धावस्था दूर रखता है। त्रिफला, आमलक घृत, आमलक चूर्ण, हरीतकी व शिलाजीत के प्रयोग से वृद्धावस्था को शीघ्र आने से रोका जा सकता है।
वृद्धावस्था को वरदान बनाएं
वृद्धावस्था को एक अभिशाप नहीं बल्कि वरदान के रूप में लेना चाहिए। इस उम्र में आंखों की ज्योति चाहे क्षीण हो जाए लेकिन आध्यात्मिक ज्योति निश्चित रूप से बढ़ती है। याद रखें हम उसी दिन बूढ़े होंगे जिस दिन हम सीखना बंद कर देंगे। आपके चेहरे पर भले ही झुर्रियां पड़ जाएं पर उत्साह में झुर्रियां नहीं पडऩे दें। वृद्धावस्था में जो गया उसके लिए चिंतित होने के बजाय जो मिला है उसमें संतोष करें।