शहीद के बेटे ने छोड़ा 18 लाख का पैकेज, पुलिस फोर्स ज्वाइन की
अमेठी में उपद्रवियों से मोर्चा लेते पिछले साल 14 सितंबर को विजय शहीद हो गए। पिता की शहादत ने विनीत की जिंदगी का मकसद बदल दिया। सपना बदल दिया। लोगों ने लाख समझाया। पर उन्होंने किसी की न सुनी।
कहा-परिवार की परंपरा कायम रखनी है। टीसीएस कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अब एक ही जिद है, पुलिस फोर्स जॉइन करने की।
विनीत मूलरूप से अंबेडकरनगर जहागीरगंज के सेमरा गांव के रहने वाले हैं। छोटा भाई विपुल चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहा है। विनीत ने फैसला किया तो लोगों ने समझाया कि सैलरी बहुत कम है। बहुत तनाव है। छुट्टी नहीं मिलती। लेकिन विनीत अपने फैसले पर अडिग रहा।
ताऊ भी हुए थे शहीद
ताऊ कपिल मुनि मिश्र भी सिपाही थे। वर्ष 1984 में उन्नाव के गंगाघाट थाना में तैनाती के दौरान उपद्रवियों ने हमला कर दिया था। ताऊ मोर्चा लेते रहे। अंत में उपद्रवियों की गोली ने उनकी जान ले ली। ताऊ की जगह उनके बेटे घनश्याम मिश्रा को नौकरी मिली। आज वे दरोगा हैं।
देखो मां रुपये तो सब कमा लेंगे, ऐसा सम्मान नहीं मिलेगा
बुधवार को जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उसकी मां माधुरी मिश्रा को नमस्कार करते हुए हालचाल पूछे तो वह फफक पड़ीं।
मुख्यमंत्री के जाते ही विनीत बोला, ‘देखा मां। रुपया-पैसा तो सब कमा लेंगे लेकिन यह सम्मान कम ही लोगों को मिलता है। आज लगा कि पिताजी की शहादत बेकार नहीं गई।’