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चंद्र ग्रहण 2020: जानिए चंद्र ग्रहण में क्या करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए

चंद्र ग्रहण एक अशुभ घटना है और यह घटना 5 जून को घटेगी। ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरती जाती है। चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से ग्रहण शुरू हो जाएगा और अगली तारीख 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। रात 12 बजकर 54 मिनट पर यह अपनी पूर्ण स्थिति में होगा। इस चंद्रग्रहण की कुल अवधि 3 धंटे 15 मिनट की होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।

ग्रहण का सूतक काल
ग्रहण में लगने वाला सूतक काल एक अशुभ समयावधि होती है। यह सूतक काल चंद्र ग्रहण के लगने से नौ घंटे पूर्व ही शुरु हो जाता है, जो ग्रहण समाप्ति के साथ ही खत्म होता है। लेकिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता है।  

ग्रहण के दौरान बरतें ये सावधानियां:-

ग्रहण के दौरान और ग्रहण के खत्म होने तक भगवान की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए।

ग्रहण में घर के मंदिरों के कपाट बंद कर देना चाहिए। ताकि भगवान पर ग्रहण का असर ना हो सके।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान ना तो ग्रहण देखना चाहिए और ना ही घर के बाहर निकलना चाहिए। 

ग्रहण में स्त्री-पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। ग्रहण के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण में संतान पर बुरा असर पड़ता है।

सूतक लगने पर और ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। ग्रहण में कभी भी श्मशान घाट में नहीं जाना चाहिए।

सूतक लगने पर किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। ग्रहण में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं होता।

ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।

ग्रहण के बाद जरूर करें ये कार्य:-

चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। 

ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर नए कपड़े पहने फिर कुछ दान करें।

इसके बाद कोई अन्य कार्य करना शुरू करें।

ग्रहण खत्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल डालकर शुद्धि करें।

ग्रहण खत्म होने पर घर के पास मौजूद किसी मंदिर में पूजा कर दान करें।

मान्यता यह भी है कि ग्रहण खत्म होने पर गाय को रोटी खिलाने से अच्छा फल प्राप्त होता है।

मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ग्रहण खत्म होने के बाद इन्द्र देव की पूजा करने का भी विधान है।

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