कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 48.36 फीसदी
नयी दिल्ली (एजेंसी): देश में भले ही कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के सर्वाधिक मामले वाले देशों की सूची में सातवें स्थान पर आ गया है और संक्रमितों की संख्या दो लाख के पार पहुंच गयी है लेकिन राहत की बात यह है कि स्वस्थ होने वालों की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हो रहा है और यह दर मंगलवार को 48.36 हो गयी जबकि मृत्यु दर मात्र 2.79 प्रतिशत रही।
सोमवार को संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 48.42 फीसदी पहुंच गयी थी जबकि मृत्यु दर मात्र 2.86 प्रतिशत रही। रविवार को संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 47.62 फीसदी थी जबकि मृत्यु दर केवल 2.83 प्रतिशत रही। इससे पहले शनिवार को संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 46.88 फीसदी जबकि मृत्यु दर केवल 2.84 प्रतिशत रही थी।
‘कोविड19इंडियाडॉटओआरजी’ के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस के 202860 मामलों की मंगलवार की रात तक पुष्टि हो चुकी है। आज सुबह यह संख्या 198706 थी। अब तक कुल 98113 मरीज स्वस्थ हुये हैं जबकि 5679 लोगों की मौत हो चुकी है। अन्य 99057 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने मंगलवार को बताया कि देश में कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों की तुलना विश्व के अन्य देशों से की जा रही है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की आबादी कितनी है और यहां कितने मामले अब तक सामने आये हैं तथा मृत्यु दर कितनी है। उन्होंने बताया कि देश में मरीजों के ठीक होने की दर 15 अप्रैल को 11.42 प्रतिशत, तीन मई को 26.59 प्रतिशत,18 मई को 38.29 प्रतिशत थी और इसके बाद इसमें सुधार होता गया और आज सुबह यह बढ़कर 48.07 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने कहा कि विश्व के 14 देशों में जहां कोरोना के मामले अधिक देखे गये हैं उनकी आबादी भारत के बराबर ही है लेकिन उनमें भारत से 22.5 प्रतिशत अधिक कोरोना के मामले देखे गये हैं और मौतों का आंकड़ा भारत से 55.2 प्रतिशत अधिक है। अगर पूरे विश्व में मौतों का प्रतिशत देखा जाए तो विश्व में यह औसत 6.13 प्रतिशत है और भारत में इस समय 2.82 प्रतिशत है जो पूरे विश्व में सबसे कम है। अगर प्रति लाख आबादी के हिसाब से कोरोना मौतों का आंकड़ा देखा जाए तो पूरे विश्व में यह 4.9 प्रतिशत है लेकिन भारत में यह मात्र 0.41 प्रतिशत प्रति लाख है और बेल्जियम जैसे देश में यह दर 82.9 प्रतिशत प्रति लाख है।
अग्रवाल ने बताया कि देश की 10 प्रतिशत आबादी में कोरोना से होने वाली मौतों के 50 प्रतिशत मामले देखे गये हैं और इनमें 60 से 74 आयु वर्ग के लोगों का आंकड़ा 38 प्रतिशत और 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 12 प्रतिशत है। इसके अलावा कोरोना से होने वाली 73 प्रतिशत मौतों में अन्य बीमारियों की भी अहम भूमिका रही है जिसे चिकित्सा भाषा में ‘काेमोर्बिडिटी’ कहा जाता है। इन मरीजों में पहले से मधुमेह, दिल की गंभीर बीमारियां, उच्च रक्त चाप और गुर्दों संबंधी बीमारियों का पुराना इतिहास भी रहा था।
उन्हाेंने बताया कि देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को कोरोना का खतरा अधिक है और ऐसे लोगों को अधिक सावधानी बरतनी की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि लोगाेें को अब कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा क्योंकि कोरोना की अभी तक कोई पुख्ता वैक्सीन अथवा दवा नहीं है और जब तक कोई दवा नहीं बन जाती तब तक सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत साफ-सफाई, माॅस्क और गमछों का इस्तेमाल जरूरी है। इस तरह की संक्रामक लड़ाई को सावधानी से जीता जा सकता है और इसमें जागरुकता, निवारक प्रयास तथा समय पर इलाज जरूरी है।
भारत ने अब तक जो उपलब्धि हासिल की है वह इन्हीं उपायों को अपनाकर अर्जित की है और हम कोरोना से होने वाले नुकसान को कम करने में कामयाब रहे हैं। पहले हमारे कोशिश विषाणु संक्रमण को रोकने की थी लेकिन अब सारा ध्यान इससे होने वाली मौतों को रोकने पर है और इसके लिए लोगों को जागरूक बनाना जरूरी है ताकि वे समय रहते चिकित्सा केन्द्र में जाएं।
अग्रवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सिर्फ आपातकालीन परिस्थितियों के लिए रेमडिसिविर दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि देश में कोरोना का सामुदायिक प्रसार हो चुका है। उनका कहना था कि अगर ऐसा होता तो आपके आसपास हर कोई व्यक्ति इससे पीड़ित हो चुका होता।