यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर लखनऊ हाईकोर्ट ने लगाई रोक
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर अगली तारीख तक रोक लगा दी है। ऋषभ मिश्र व अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी। न्यायालय ने इस मामले में विवादित सवालों को यूजीसी की विशेषज्ञों समिति को भेजकर रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। तब तक परीक्षा परिणाम व रिजल्ट पर न्यायालय ने रोक लगा दी है।
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस आलोक माथुर के कोर्ट नंबर 26 में सुनवाई हुई। यह याचिका अमिता त्रिपाठी व अन्य की ओर से दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने कहा है कि यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर सारे विवादित प्रश्नों पर विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। इसके बाद ही अब आगे फैसला होगा।
दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सरकार ने भर्ती का कटऑफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की अनिवार्यता के साथ तय की थी। इस आदेश को लेकर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी।
याचिका में मांग की गई थी कि सरकारी नियमों के हिसाब से भर्ती के लिए डाली गई याचिका पर सुनवाई हो और महाधिवक्ता हर सुनवाई में मौजूद रहे। हाई कोर्ट की एकल पीठ में इस तरह कई याचिकाएं दायर हुईं। एकल पीठ के फैसले को पुर्नयाचिका के लिए दायर की थी।
जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने 6 मई को केस में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने 6 मई को आदेश दिया था कि शिक्षक भर्ती सरकार के तय मानकों के आधार पर ही होगी। इसी के साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया अगले तीन महीने के अंदर पूरी कर ली जाए। हालांकि यह केस एक बार फिर से कोर्ट पहुंच गया है।
क्या है मामला?
दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सरकार ने भर्ती का कटऑफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की अनिवार्यता के साथ तय की थी। इस आदेश को लेकर अभ्यार्थियों ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी।
तीन महीने में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के थे आदेश
हाई कोर्ट ने 6 मई को आदेश दिया था कि शिक्षक भर्ती सरकार के तय मानकों के आधार पर ही होगी। इसी के साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया अगले तीन महीने के अंदर पूरी कर ली जाए। हालांकि यह केस एक बार फिर से कोर्ट पहुंच गया और अब अदालत ने यह फैसला दिया।
कोर्ट के आदेश से मामला फिर लटक गया है। वहीं सफल अभ्यर्थियों के चेहरे कोर्ट के आदेश के बाद लटके नजर आये। कई लोगों ने कहा कि विवाद पहले ही सुलझा लेना चाहिए थे। लम्बे समय बाद अब जब सरकारी नौकरी मिलने का सपना पूरा हो रहा था, तो फिर इस पर ग्रहण लग गया। अब सरकार जल्दी से जल्दी मामले का समाधान करे, जिससे आगे देरी न हो।