खाद्य सुरक्षा दिवस मनुष्य के आधारभूत अधिकार का जागरण
नई दिल्ली: मनुष्य की तीन आधारभूत आवश्यकताएँ होती हैं-रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी उसकी प्राथमिक आवश्यकता है। इसके लिए वह जी तोड़ परिश्रम करता है। फिर भी विश्व में अनेक ऐसे देश हैं,जहाँ लोगों को दो जून की रोटी भी नहीं मिलती। वे भूखे पेट हीं सो जाते हैं।
इस आधुनिक युग में ऐसा नहीं है कि खेतों में उपयुक्त मात्रा में अन्न नहीं उपजाये जाते। आज उपज अधिक है, संसार की जरुरत से ज्यादा अन्न उपजाते हैं, फिर भी अनेक लोग और उनके परिवार भूखे रह जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि हम अन्न का संरक्षण और प्रबंधन नहीं कर पाते हैं, अन्न को नष्ट होने से नहीं रोक पाते हैं।
संसार में हर किसी को उपयुक्त अन्न की प्राप्ति हो, कोई भूखा न रह जाए या भूखमरी का शिकार न हो। इसके लिए अन्न का संरक्षण, प्रबंधन और वितरण उचित रीति से होना आवश्यक है। इस उद्येश्य की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र ने अपने सहसंस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के साथ मिलकर प्रत्येक वर्ष 07 जून को खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया।
प्रथम बार विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 07 जून 2019 को मनाया गया। प्रथम विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की विषयवस्तु थी-खाद्य सुरक्षा : सभी का सरोकार
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी दो संस्थाओं विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन तथा विश्व स्वास्थय संगठन को खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने का दायित्व सौंपा है।
विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना 16 अक्तूबर 1945 को हुई थी। इसका मुख्यालय रोम, इटली में है। इसके अध्यक्ष श्री क्यू डोंग्यू हैं। विश्व स्वास्थय संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुयी थी। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में है। वर्तमान में इसके कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष भारत के डॉ. हर्षवर्द्धन हैं जिन्होंने हाल हीं में 22 मई 2020 को कर्यभार सँभाला है।
खाद्य सुरक्षा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किये हैं। मुख्य दिशा -निर्देश निम्न प्रकार हैं:
- सरकारों को सभी के लिये सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करना चाहिये।
- कृषि और खाद्य उत्पादन में अच्छी प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है।
- व्यापार करने वालों लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि खाद्य पदार्थ सुरक्षित है।
- लोगों को सुरक्षित, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार है।
- इस बारे में आम उपभोक्ताओं को भी उचित जानकारी दी जानी चाहिए।
भारत के संविधान के भाग चार ” राज्य के नीति निर्देशक तत्व” के अनुच्छेद 47 में वर्णित है कि पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थय को सुधार करना राज्य का कर्तव्य है।
भारत के प्रत्येक नागरिक को भोजन का अधिकार मिले इसके लिए 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा भारत की कुल जनसंख्या के लगभग 75℅ लोगों को खाद्य सुरक्षा की गारंटी का प्रावधान किया गया है।
मध्याहन भोजन योजना हो या एकीकृत बाल विकास सेवा योजना या सार्वजनिक वितरण प्रणाली की योजना ये सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आते हैं और खाद्य सुरक्षा की गारंटी देते हैं।
हाल हीं में सरकार ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना आरंभ की है, जो खाद्य सुरक्षा की दिशा में बेहतरीन प्रयास कहा जा सकता है। खाद्य सुरक्षा किसी एक का उत्तरदायित्व नहीं है। यह सरकारों, उत्पादकों और उपभोक्ताओं के मध्य की साझी जबाबदेही है।
हर किसी को अपनी – अपनी भूमिका का निर्वहन करना पड़ेगा ताकि प्रत्येक मनुष्य की थाली में सुरक्षित अन्न पहुँच सके और कोई भी भूखमरी का शिकार न हो। कोई कुपोषित न हो। अगर ऐसा हो तो सही अर्थ में खाद्य सुरक्षा दिवस अपनी सार्थकता सिद्ध करेगा।