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मंत्री करा रहे अपना इलाज, विभाग को लगी फर्जीवाड़े की बीमारी 

9 करोड़ की पशुपालन ठगी में  में, 3 आरोपित और दबोचे गए

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग में करोड़ों के फर्जी टेंडर दिलाने के नाम पर की गई नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी के आरोपित अपने प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित के कारण चर्चाओं में आए पशुधन विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कराने की बात कही। रजनीश दीक्षित को रविवार को एसटीएफ ने छह अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया है। मंत्री जयप्रकाश निषाद फिलहाल अपने कूल्हे की हड्डी के टूटने के कारण घर पर हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। 

गोरखपुर में इलाज करा रहे निषाद ने कल देर शाम कहा था कि उन्हेंं इस मामले की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से ही मिली है। उन्होंने कहा कि उनके कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद उसका ऑपरेशन हुआ है। वह दो महीने से लखनऊ भी नहीं जा पाए हैं। ऐसे में पूरे मामले की जानकारी लिए बिना कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। मंत्री महोदय ने इस मामले को पशुधन विभाग और उन्हेंं बदनाम करने की साजिश बताया। इसी के साथ साथ उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कराने की बात भी कही। पुलिस द्वारा मामले में हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

फर्जी टेंडर के माध्यम से नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी

उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग में अधिकारियों की सांठगांठ से ठेका दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े के एक बड़े मामले में लखनऊ पुलिस ने 11 नामजद आरोपियों में से आरोपियों आशीष, रजनीश दीक्षित, एके राजीव और धीरज को दिन में तथा तीन अन्य को बीती रात गिरफ्तार कर लिया है। फर्जीवाड़े का यह खेल वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। इसके पीछे एक आइपीएस अधिकारी, राजधानी में तैनात एक इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकॢमयों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। एएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के माध्यम से नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी।

28 लाख 32 हजार रुपये और निदेशक का फर्जी पहचान पत्र बरामद

पुलिस ने इस मामले में पहले विभवखंड गोमतीनगर निवासी आशीष राय, राजाजीपुरम निवासी रजनीश दीक्षित, ग्रीनवुुुड अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार निवासी धीरज कुमार देव और नेहरू एन्क्लेव गोमतीनगर निवासी एके राजीव को गिरफ्तार किया था।

इसके बाद कल देर रात एसटीएफ ने कस्बा और थाना खुखुंद जिला देवरिया निवासी निजी चैनल के न्यूज एडीटर अनिल राय, सेठवल रानी की सराय आजमगढ़ निवासी रूपक राय और बख्शी खुर्द दारागंज प्रयागराज निवासी उमाशंकर तिवारी को राणा प्रताप मार्ग से गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से 28 लाख 32 हजार रुपये के साथ एसके मित्तल के नाम से फर्जी पहचान पत्र व अन्य कागजात बरामद किए गए हैं। मामले की शिकायत बगला नंबर चार, 25 पुरनीता कालोनी बिचोली हप्सी, इन्दौर मध्य प्रदेश निवासी मंजीत सिंह भाटिया ने की थी।

पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार और घोटालों से पुराना नाता

गौरतलब है की उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार और घोटालों से पुराना नाता रहा है। सपा के शासनकाल में पशुधन प्रसार अधिकारिओं की भर्ती और स्लाटर हाउस घोटाला जैसे मामलों की जांच अभी तक पूरी नहीं हुयी है। अब तो टैगिंग टेंडर के मामले में अनियमितताओं की सुगबुगाहट भी जोर पकड़ने लगी है।

पशुओं की टैगिंग के नाम पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के इस मामले पर कोई विभागीय अधिकारी या कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। दरअसल, मामला मंत्री के निजी सचिव से जुड़ा है। पूर्व सरकार के शासनकाल में हुए भर्ती घोटाले में विभागीय निदेशक समेत आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारी नपे थे। वर्ष 2013-14 में पशुधन प्रसार अधिकारी के 1148 पदों के लिए भर्ती में धांधली के आरोप में तब तत्कालीन निदेशक चरण सिंह, अपर निदेशक अशोक कुमार सिंह, जीएस द्विवेदी, हरिपाल सिंह, एपी सिंह व अनूप श्रीवास्तव को एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर जून 2019 में शासन ने निलंबित कर दिया था।

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