कोविड-19 से प्रभावित बच्चों के लिए यूनिसेफ ने चलाया चाइल्डहुड चैलेंज अभियान
यूनीसेफ़ का अनुमान है कि विश्व स्तर पर, अगले छह महीनों में प्रतिदिन अतिरिक्त 6000 बच्चों की मौत ऐसी वजहों से हो सकती है जिन्हें रोका जा सकता है। इनमें से ज़्यादातर (90 प्रतिशत से अधिक), निम्न या निम्न-मध्यम आय वाले देशों से होंगे। इन आँकड़ों के मुताबिक भारत में ही अगले छह महीने में तीन लाख अतिरिक्त बच्चों की मौत हो सकती है।
स्तम्भ: कोविड-19 के कारण दुनिया के हर महाद्वीप के बच्चों का भविष्य सँकट में है। स्वास्थ्य , शिक्षा, बच्चों का मनोरंजन सब कुछ बाधित हुआ है। भारत की राजधानी नई दिल्ली में हाल ही में मशहूर बॉलीबुड अभिनेत्री और यूनीसेफ़ की सेलेब्रिटी एडवोकेट, करीना कपूर ख़ान ने #ChildhoodChallenge अभियान शुरू किया। ये अभियान यूनीसेफ़ के वैश्विक प्रयासों का हिस्सा है, जिसके तहत कोविड महामारी से बच्चों के भविष्य पर स्थाई असर पड़ने से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
यूनीसेफ़ का अनुमान है कि विश्व स्तर पर, अगले छह महीनों में प्रतिदिन अतिरिक्त 6000 बच्चों की मौत ऐसी वजहों से हो सकती है जिन्हें रोका जा सकता है। इनमें से ज़्यादातर (90 प्रतिशत से अधिक), निम्न या निम्न-मध्यम आय वाले देशों से होंगे। इन आँकड़ों के मुताबिक भारत में ही अगले छह महीने में तीन लाख अतिरिक्त बच्चों की मौत हो सकती है।
भारत में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि डॉक्टर यासमीन अली हक़ ने कहा, “हम बहुत ख़ुश हैं कि करीना कपूर ख़ान बच्चों के लिए इस महत्वपूर्ण अभियान का समर्थन ऐसे समय में कर रही हैं, जब इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है। ChildhoodChallenge के माध्यम से दान में आई धनराशि यूनीसेफ़ के ‘रीइमेजिन ग्लोबल कैम्पेन’ को भेजी जाएगी।
इस वैश्विक अभियान के तहत सरकारों, लोगों, दानकर्ताओं और निजी क्षेत्र से तत्काल अपील की गई है कि कोविड-19 के कारण अस्त-व्यस्त हुए विश्व की पुनर्बहाली और पुनर्निर्माण के लिए वो यूनीसेफ़ के प्रयासों में सहयोग दें। यूनीसेफ़ एकत्र किये जाने वाले इस धन से बच्चों और परिवारों की तत्काल जरूरतें, जैसेकि साबुन, मास्क, दस्ताने, स्वच्छता किट, सुरक्षात्मक उपकरण मुहैय्या कराने और जीवन रक्षक जानकारी प्रदान करने में सरकारों की मदद करेगा।
इसके अलावा, शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का समर्थन करके, समय पर पुनर्बहाली और बच्चों के लिए अधिक न्यायपूर्ण दुनिया का निर्माण करने के यूनीसेफ़ के कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। इस अभियान में कमज़ोर तबके के बच्चों की मदद के लिए यूनीसेफ़ इंडिया ने समर्थकों को अपने बचपन से जुड़ी बेहतरीन यादों की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए आमन्त्रित किया है। साथ ही अपने जन्म के साल के बराबर धनराशि दान करने का भी आहवान किया है।
इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख किया गया है। विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 दक्षिण एशियाई देशों में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में हुई प्रगति के लिए संकट का कारण बन रही है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) ने एक सप्ताह पूर्व जारी अपनी नई रिपोर्ट में देशों की सरकारों से बाल संरक्षण हेतु त्वरित कार्रवाई का आग्रह किया है ताकि एक पूरी पीढ़ी की आशाओं और आकाँक्षाओं को बर्बाद होने से बचाया जा सके।
महामारी दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य देशों में तेज़ी से फैल रही है जहाँ विश्व की क़रीब एक चौथाई आबादी रहती है। Lives Upended’ रिपोर्ट दर्शाती है कि वायरस और उससे निपटने के लिए लागू की गई पाबन्दियों से 60 करोड़ बच्चों और उन सेवाओं पर तात्कालिक और दीर्घकालीन असर पड़ा है जिन पर वे निर्भर हैं, और इससे उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं। दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए यूनीसेफ़ की निदेशक जीन गॉफ़ ने कहा दक्षिण एशिया में वैश्विक महामारी के कारण की गई तालाबन्दी और अन्य ऐहतियाती उपाय बच्चों के लिए तक़लीफ़देह साबित हुए हैं।
दक्षिण एशिया में कोविड 19 के बालकों पर प्रभाव संबंधी रिपोर्ट के मुख्य पहलू
रिपोर्ट दर्शाती है कि वायरस के कारण दक्षिण एशिया में 60 करोड़ से ज़्यादा बच्चों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं–खाद्य असुरक्षा, पोषण, टीकाकरण और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान आने से अगले छह महीनों के भीतर साढ़े चार लाख से ज़्यादा बच्चों के जीवन के लिए संकट उत्पन्न होने की आशंका है।
विनाशकारी नतीजे
- स्कूलों में तालाबन्दी से 43 करोड़ बच्चों को घर बैठकर ही पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हालात चिन्ताजनक हैं क्योंकि वहाँ अक्सर इन्टरनेट और बिजली सेवाओं का अभाव है।
- साथ ही ये आशंका भी बढ़ रही है कि कोविड-19 से पहले ही स्कूली शिक्षा से वंचित तीन करोड़ से ज़्यादा बच्चों की सँख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
- यह संकट एक ऐसे समय में खड़ा हो रहा है जब बच्चों में मानसिक अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं और हैल्पलाइन पर टेलीफ़ॉन कॉल की सँख्या बढ़ रही है। घरों तक सीमित रह जाने के कारण अक्सर उन्हें हिंसा और दुर्व्यवहार का भी शिकार होना पड़ रहा है।
- रिपोर्ट के मुताबिक ख़सरा, पोलियो और अन्य बीमारियों से रक्षा के लिए टीकाकरण अभियान फिर शुरू किये जाने होंगे और इसके समानान्तर उन 77 लाख बच्चों की मदद करनी होगी जिनका पूर्ण रूप से शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि जितना जल्दी सम्भव हो, स्कूल फिर खोले जाने चाहिए लेकिन हाथ धोने और शारीरिक दूरी बरते जाने की सभी सावधानियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी होगी।
- कोविड-19 के कारण आर्थिक झटकों से पूरे क्षेत्र में परिवारों पर असर पड़ा है – बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार ख़त्म हो गया है, वेतनों में कटौती हुई है और देश से बाहर काम कर रहे कामगारों व पर्यटन से धन-प्रेषण (Remittance) में गिरावट आई है।
- यूनीसेफ़ का अनुमान है कि अगले छह महीनों में 12 करोड़ से ज़्यादा बच्चे ग़रीबी, खाद्य असुरक्षा के गर्त में समा सकते हैं। 24 करोड़ बच्चे पहले से ही निर्धनता के दंश का शिकार हैं।
(लेखक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ हैं)