संदिग्ध लिस्ट से खुली पोल पांच के नाम पर दो जगह चल रही नौकरी
लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग में गड़बड़ियों की पोल खोलने वाली अनामिका शुक्ला प्रकरण से शुरू हुई जांच की गाज अब सूबे के परिषदीय विद्यालयों में दशकों से नौकरी करने वाले शिक्षकों पर भी पड़ती दिख रही है। इसकी जद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भी पांच शिक्षक तब आ गए जब शासन की ओर से जारी 193 संदिग्ध शिक्षकों की लिस्ट जारी हुई। इस लिस्ट में जांच के दौरान वाराणसी के पांच ऐसे शिक्षकों के नाम पकड़ में आए हैं, जिनके दस्तावेजों के आधार पर दूसरे जनपदों में नौकरी की जा रही थी।
इस लिस्ट में जिन पांच शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, उनके नाम से लोग लगभग डेढ़ दशक से एक साथ दो जगहों पर नौकरी कर रहे हैं। ये शिक्षक, विभाग से अब तक करोड़ों रुपए बतौर तनख्वाह उठा चुके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग अब ना केवल जांच के बाद ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के मूड में है, बल्कि उनसे तनख्वाह के नाम पर लिए गए पैसे को भी रिकवर करने की तैयारी कर रही है।
इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि प्रदेश स्तर से 193 संदिग्ध सरकारी शिक्षकों की सूची जारी हुई थी। हमें जांच के दौरान वाराणसी के छह शिक्षकों के नाम मिले जो अन्य जनपदों में भी परिषदीय विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत होकर नौकरी कर रहे हैं। जब हमने वित्त एवं लेखा अधिकारी के माध्यम से उन जनपदों में पूछताछ की तो पता चला कि चार ऐसे अध्यापक हैं जो नाम, पता, आधार कार्ड और अंक पत्रों के सहारे नौकरी कर रहे हैं। छह में से दो शिक्षक ऐसे थे जिनका डाटा आजमगढ़ में डिलीटेशन नहीं हो पाया था. इस कारण वहां नाम शो कर रहा था।
इसके अलावा एक शिक्षक के बारे में अंबेडकर नगर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा अवगत कराया गया। दस्तावेजों के आधार पर वे बनारस और अंबेडकरनगर दोनों जगहों पर कार्यरत थे। इस प्रकार वाराणसी में कुल मिलाकर पांच शिक्षक चिन्हित हुए हैं, जो दूसरों के नाम पर नौकरी कर रहे हैं या इनके अंकपत्रों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह स्थिति जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। जांच जैसे ही पूर्ण होगी वैसे ही शिक्षक की सेवा समाप्त होगी, एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और अब तक लिए गए सरकारी वेतन की रिकवरी शुरू की जाएगी।
उन्होंने बताया कि मानव संपदा पोर्टल के जरिए सूबे के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का डाटाबेस बन रहा है। उसी आधार पर शिक्षकों का भी डाटाबेस तैयार किया गया है। उनकी शैक्षणिक योग्यता से लेकर व्यक्तिगत जानकारी भी उसमें मौजूद है और प्रदेश स्तर पर जब इनका मिलान किया गया था तो प्रथम दृष्टया 193 संदिग्ध शिक्षकों का मामला प्रकाश में आया।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि अब तक पकड़े गए सभी शिक्षकों ने बतौर वेतन 50 से 60 लाख रुपए उठाए हैं। ये सभी लोग डेढ़-दो दशकों से नौकरी कर रहे हैं।
वहीं अनामिका शुक्ला मामले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की जांच को लेकर राकेश सिंह ने बताया कि अनामिका शुक्ला के कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर सेवापुरी ब्लॉक स्थित कस्तूरबा विद्यालय में भी एक नियुक्ति हुई थी, लेकिन संयोग से उस अभ्यर्थी ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। हमने जिलाधिकारी महोदय के द्वारा उसकी सेवा समाप्त करने की कार्रवाई कराई और जंसा थाने में उसके विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराया है। इसी प्रकार अन्य कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की जनपद में शिक्षकों और गैरशिक्षक कर्मियों की जांच कराई तो 13 लोग उसमें प्रथम दृष्टया संदिग्ध मिले हैं। सभी के खिलाफ जांच की कार्रवाई जारी है। जैसे ही कोई दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि फिलहाल पकड़े गए 13 टीचिंग, नॉन-टीचिंग स्टाफ के दस्तावेजों में कुछ आरक्षण का गलत इस्तेमाल कर नौकरी पाने में सफल रहे हैं, तो कइयों के दस्तावेज, प्रथम दृष्टया गलत लग रहे है। वहीं कइयों की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं. हर लेवल की कमियां मिली हैं, जिसका परीक्षण किया जा रहा है।