नई दिल्ली : उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण के बीच दिल्ली सरकार को निर्देश जारी कर स्कूल ट्यूशन फीस माफ करने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट से जनहित याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लाखों अभिभावकों को निराशा हाथ लगी है, जो कोर्ट से राहत की उम्मीद पाले हुए थे। नरेश कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कोराना वायरस संक्रमण के हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को स्कूलों की ट्यूशन फीस माफ करने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने का आग्रह किया गया था। वकील एन. प्रदीप शर्मा और हर्ष के. शर्मा की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि निजी/प्राइवेट/पब्लिक स्कूल बिना सेवा दिए है स्कूल फीस और अन्य शुल्क की मांग कर रहे हैं।
सरकार की ओर से यही आदेश है कि ऑनलाइन कक्षाओं की एवज में सिर्फ ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे। अभिभावकों का कहना था कि स्कूलों द्वारा दी जाने वाली ऐसी ऑनलाइन कक्षाओं में अन्य चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक निहितार्थ हैं, जो स्कूल शिक्षा की अवधारणा के खिलाफ है। गौरतलब है कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि एनसीआर के तमाम शहरों में भी निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस लेने को लेकर अभिभावकों से मतभेद जारी है। स्कूलों द्वारा फीस मांगे जाने पर अभिभावकों का तर्क है कि वे सिर्फ ट्यूशन फीस दे सकते हैं, लेकिन अन्य मद में पैसे देने का कोई तुक नहीं है। कई स्कूलों ने तो कुल फीस नहीं जमा करने पर छात्रों का नाम तक काटने की चेतावनी दी है। वहीं, निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि पूरी फीस नहीं मिलने पर स्कूल चलाने के साथ शिक्षकों की वेतन देना संभव नहीं होगा।