इतिहास में अमर होगा मोदी-योगी का नाम
राम मन्दिर भूमि पूजन के साथ ही वर्षों पुराने विवाद का अन्त
लखनऊ, 4 अगस्त, दस्तक टाइम्स : देश का हर नागरिक चाहता है कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मन्दिर बने। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को देश के नागरिकों की प्रबल इच्छा का सम्मान करते हुए राम मन्दिर निर्माण का भूमि पूजन करेंगे। इसी भूमिपूजन के साथ अयोध्या का 166 वर्ष पुराना न्यायिक विवाद भी खत्म हो जाएगा और इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी इतिहास में अमर हो जाएगा।
ज्ञात हो कि राम जन्म भूमि विवाद 1853 में प्रारम्भ हुआ था। बाबरी मस्जिद के निर्माण के बाद हिन्दुओं ने आरोप लगाया था कि राम मन्दिर को तोड़कर ही मस्जिद की स्थापना की गई है। 1985 में महंत रघुबर दास ने पहली बार न्यायालय में अपील करके यह अनुमति मांगी थी कि बाबरी मस्जिद के ही बगल में राम मन्दिर का निर्माण किया जाए, हालांकि तभी से यह विवाद जारी रहा जिसका समाधान पूरी तरह से बुधवार को हो जाएगा।
विहिप ने शुरू किया था ताला खोलने का आंदोलन
1984 में विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल का ताला खोलने के लिए आन्दोलन प्रारम्भ किया और 1 फरवरी, 1986 को फैजाबाद के जिला जज ने विवादित स्थल पर हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति दे दी। न्यायालय के इस फैसले पर मुस्लिम समुदाय ने नाराजगी जतायी और अपना विरोध जारी रखने के लिए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की स्थापना की। 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने मन्दिर मुद्दे पर विश्वहिन्दू परिषद को अपना समर्थन दिया जहां से राम जन्म भूमि राजनीति में एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। 6 दिसम्बर 1992 को हजारों कारसेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहा दिया जिससे देशभर में साम्प्रदायिक दंगे हुए और भाजपा की कई राज्यों की सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया।
भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र का मुद्दा था राम मन्दिर निर्माण
भारतीय जनता पार्टी ने राम मन्दिर निर्माण को अपने चुनावी घोषणा पत्र का प्रमुख मुद्दा बनाया। इतने वर्षों की अनवरत लड़ाई के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के मुख्य चुनावी घोषणा पत्र को न सिर्फ अमली जामा पहनाएंगे बल्कि देश के कारोड़ों नागरिकों को राम मन्दिर की सौगात देंगे। राम मन्दिर के शिल्यानास के साथ ही बुधवार को देश में जहां एक नये युग की शुरुआत होगी वहीं कारसेवकों के उन परिवारों को भी संतुष्टि मिलेगी जिन्होंने 90 के दशक में कारसेवा के दौरान अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज पूरा देश उनके बलिदान पर गौरवान्वित कर रहा है।
महंत अवैद्यनाथ से योगी आदित्यनाथ तक की अहम भूमिका
इसे राम की कृपा ही कही जाएगी कि अयोध्या में भव्य राम मन्दिर निर्माण के आंदोलन का नेतृत्व गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने ही की थी। राम मन्दिर निर्माण का नींव पूजन भी उन्हीं के उत्तराधिकारी गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर कमलों द्वारा किया गया है। आज सबसे ज्यादा खुशी महन्थ अवैद्यनाथ को होगी क्योंकि उनका सपना उनके ही उत्तराधिकारी के हाथों पूरा होने जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ बनेंगे रामत्व और हिन्दुत्व के नये ध्वजावाहक
यही नहीं बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दुत्व के नये ध्वजावाहक के रूप में विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे, हालांकि उन्होंने अपनी विशुद्ध हिन्दुत्व की छवि मुख्यमंत्री बनने के बाद बनाये रखा है। कई अवसरों पर उन्होंने इसका संदेश भी दिया है। उन्होंने विधानसभा में यह घोषणा करके कि वह ईद नहीं मनाते हैं, कट्टर हिन्दूवादी होने का संकेत दिया। वहीं उन्होंने ईद मनाने वालों को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने का आदेश देकर अपने राजधर्म का भी निर्वहन किया। यही नहीं उन्होंने वर्षों से चली आ रही परम्परा को भी तोड़ दिया जब ईदगाह में उन्होंने मुस्लिम समुदाय को संबोधित करने से मना कर दिया।
योगी ने धार्मिक स्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया
मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया। जहां भारी संख्या में विदेशी पर्यटक आ रहे हैं। इससे न सिर्फ आर्थिक रूप से प्रदेश को लाभ हो रहा है बल्कि हिन्दुत्व का भी व्यापक प्रचार हो रहा है।
हिन्दुत्व का झंडा बुलन्द करने वाले लाल कृष्ण आडवानी, डा. मुरली मनोहर जोशी, कल्यान सिंह, उमा भारती तथा विनय कटियार जैसे नेताओं का लगभग पराभव हो चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दुत्व के एकमात्र मसीहा बनकर उभरे हैं। राम मन्दिर के शिलान्यास के बाद बुधवार को ही देश व प्रदेश में मोदी और योगी युग की भी शुरुआत होगी।