रामवीर उपाध्याय की मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात के बाद बेटे चिरागवीर भाजपा में होंगे शामिल
-बसपा महासचिव एससी मिश्रा बोले, चिरागवीर के शामिल होने से नहीं पड़ेगा फर्क
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी से निलम्बित विधायक व पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं।
हाथरस के सादाबाद के विधायक रामवीर उपाध्याय ने शनिवार को राजधानी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके निवास पर मुलाकात की थी। इसके बाद से ही उनको लेकर सियासी चर्चाएं तेज हैं। वहीं रामवीर उपाध्याय के बेटे चिरागवीर ने भी जल्द भाजपा में शामिल होने की बात कही है।
चिरागवीर के मुताबिक वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से काफी प्रभावित हैं। राम के भक्त हैं। अब राम मंदिर बनने जा रहा है। देश में और भी बहुत अच्छे काम हो रहे हैं। वह भाजपा की विचारधारा से प्रभावित हैं। अब इस विचारधारा से जुड़कर देश की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए जल्द भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। माना जा रहा है कि रामवीर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान इसी पर चर्चा की।
कहा जा रहा है कि रामवीर उपाध्याय स्वयं अभी भाजपा में शामिल नहीं होंगे। ऐसा करने पर उनकी विधानसभा सदस्यता पर भी खतरा मंडरा जाएगा। इसीलिए काफी पहले निलम्बित होने और भाजपा से नजदीकियां जगजाहिर होने के बाद भी उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण नहीं की। उनके भाई मुकुल उपाध्याय व विनोद उपाध्याय जरूर भाजपा का झंडा थाम चुके हैं। अब रामवीर बेटे का सियासी भविष्य बनाने की तैयारी में हैं।
वहीं मुख्यमंत्री ये अपनी मुलाकात पर उन्होंने कहा कि वह अपने क्षेत्र के विकास को लेकर मुख्यमंत्री से मिले थे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सदन में भगवान परशुराम के बारे में दिए वक्तव्य को शानदार बताते हुए इस पर उन्हें धन्यवाद देने की बात कही।
दूसरी ओर बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि रामवीर उपाध्याय बसपा से विधायक हैं। लेकिन, लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें पहले ही पार्टी से निलम्बित कर दिया गया था। वहीं उनका बेटा बसपा का कोई सदस्य नहीं है। अगर वह भाजपा में शामिल होता है, तो उससे बसपा को किसी तरह का फर्क नहीं पड़ता है।
रामवीर उपाध्याय को पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बाद प्रमुख ब्राह्मण चेहरा माना जाता है। 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही माना जा रहा था कि वह बसपा का साथ छोड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी वे चर्चाओं में रहे, कभी उन्होंने भाजपा के समर्थन में अपील की तो कभी भाजपा उम्मीदवार एसपी सिंह को गले लगा लिया। इसी को लेकर लोकसभा के नतीजों से पहले ही मायावती ने उन्हें पार्टी से निलम्बित कर दिया था। अब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत ब्राह्मणों के इर्द-गिर्द घम रही है। खासतौर से मायावती लगातार भाजपा को ब्राह्मण विरोधी करार करने में लगी हैं। ऐसे में भाजपा चिरागवीर के जरिए बसपा की ब्राह्मण सियासत की धार कुंद करने की तैयारी में भी है।