नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फरवरी 2019 में हुए आतंकवादी हमले से संबंधित मामले में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने आरोप पत्र दायर कर दिया है। NIA ने 13,500 पन्नों की चार्जशीट दायर की है, जिसमें एनआईए ने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और उसके संबंधियों अम्मार अल्वी व अब्दुल रऊफ समेत 19 लोगों को नामजद किया।
भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर पहुंचाने वाले हमले में 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान शहीद हुए थे। मसूद अजहर को छोड़कर चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें से सात आतंकवादी मारे जा चुके हैं, सात गिरफ्तार किए गए और 4 भगौड़े हैं, इनमें से 2 जम्मू-कश्मीर में ही छिपे हुए हैं। एक लोकल है और दूसरा पाकिस्तानी नागरिक। मारे गए आतंकियों में मसूद का भतीजा उमर फारूख भी शामिल है, जो 2018 में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सांबा में गुफाओं के जरिए भारत में दाखिल हुआ था। उमर फारूख इब्राहिम अतहर का बेटा था जो IC-814 की हाइजैकिंग का आरोपी था। उमर फारूख मार्च 2019 में एक एनकाउंटर में मारा गया था। NIA ने कहा कि लगभग ब्लाइंड टेरर केस को 18 महीनों में सॉल्व किया गया है।
जांच में पता चला कि जैश-ए-मोहम्मद के द्वारा यह साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। चार्जशीट में उन लोगों के भी नाम हैं जिन्होंने फिदायीन हमला करने वाले आदिल डार को शरण दिया और उसका आखिरी वीडियो शूट किया। इन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। आदिल डार ने पिछले साल 14 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा के पास 200 किलो विस्फोटक से भरे वाहन को सीआरपीएफ के काफिले की बस से टकरा दिया था। NIA के जॉइंट डायरेक्टर अनिल शुक्ला के नेतृत्व में हुई जांच में यह भी पता चला कि आतंकवादियों ने अच्छी क्वॉलिटी की बैट्री, फोन और कुछ कैमिकल्स खरीदने के लिए ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया था।
चार्जशीट जम्मू में एक विशेष एनआईए अदालत के सामने दायर किया गया। अधिकारियों ने कहा कि चार्जशीट में हमले में पाकिस्तान की भूमिका पर अकाट्य सबूत – तकनीकी, सामग्री और परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं। एजेंसी के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के हाजीबल, काकापोरा के निवासी कुचेय ने पुलवामा हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादियों को अपने घर में शरण दी और हमला को अंजाम देने में मदद पहुंचाया।
मुख्य अपराधी उनसके घर में रुका था और कुचे ने उन्हें अन्य लोगों से भी मिलवाया, जिन्होंने उनके रहने और हमले की योजना बनाने में मदद की। उसने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को मोबाइल फोन भी मुहैया कराए, जिससे हमले को अंजाम देने में मदद मिली। उपलब्ध कराए गए मोबाइलों में से एक आतंकवादी आदिल अहमद डार की वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करने के लिए भी इस्तेमाल किया गया था, जो हमले के बाद वायरल हो गया।