फिर से होगी आईएएस अनुराग तिवारी मामले की जांच, सीबीआई की क्लोजर खारिज
लखनऊ: विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई सुव्रत पाठक ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के संबंध में उनके भाई मयंक तिवारी द्वारा दायर प्रोटेस्ट याचिका को स्वीकार करते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह आदेश मयंक की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर तथा सीबीआई के अधिवक्ता को सुनने के बाद पारित किया।
उपरोक्त केस में सीबीआई ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया था कि मृतक द्वारा किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने या उनके बड़े अफसरों द्वारा मृत्यु का भय होने के आरोपों की मौखिक, लिखित तथा तकनीकी साक्ष्यों से पुष्टि नहीं हो सकी।
महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सीबीआई की जांच को कमजोर माना
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई द्वारा विवेचना के कई महत्वपूर्ण बिन्दुओ को नजरंदाज किया गया था तथा उन्होंने यह पूरी विवेचना पूर्वाग्रहपूर्ण दृष्टिकोण के साथ इस केस को दुर्घटना बताने के उद्देश्य से संपादित की। इस प्रकिया में सीबीआई ने कई सारे तथ्यों एवं साक्ष्यों को दरकिनार किया, कई महत्वपूर्ण फॉरेंसिक साक्ष्यों को छोड़ दिया एवं पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की जानबूझ कर गलत व्याख्या की। उन्होंने बताया कि प्रोटेस्ट प्रार्थनापत्र में विवेचना की समस्त खामियों को प्रस्तुत करते हुए अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करते हुए एसपी रैंक के अधिकारी से विवेचना करवाए जाने की प्रार्थना की गयी है। कोर्ट ने इन तथ्यों के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर अग्रिम विवेचना के आदेश दिए हैं।