दस्तक टाइम्स/एजेंसी: नई दिल्ली:
दिल्ली में ट्रकों से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए 1 नवंबर से ट्रकों से पर्यावरण टैक्स लेने का नियम बनाया गया, लेकिन दूसरी रात भी एक रुपये की भी टैक्स वसूली नहीं की जा सकी। एनडीटीवी की टीम रातभर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई समिति के साथ दिल्ली में यह जानने के लिए घूमती रही कि आखिर क्यों टैक्स की वसूली नहीं की जा सकी।
टोल कंपनियों के अधिकारियों का बयान
अपनी सफाई में टोल कंपनी के अधिकारी ने कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी है और कर्मचारियों के मन में डर है इसलिए हम अभी टोल की वसूली नहीं कर रहे हैं। वहीं पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली सुनीता नारायण ने कहा कि टोल न वसूलकर टोल कंपनी के कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।
ये था फैसला
दिल्ली होकर जाने वाले या दिल्ली आने वाले डीजल ट्रक पर टैक्स 700 से लेकर 1300 रुपये तक लगाया गया है। ये टैक्स नगर निगम के 120 टोल नाकों के जरिये वसूलने की बात की गई थी। इस तरह से एक लाख से ज्यादा डीजल ट्रकों को अब दिल्ली आना मंहगा पड़ेगा।
ट्रांसपोर्टरों ने जताया विरोध
हालांकि ट्रांसपोर्टर इस टैक्स का यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि इससे दिल्ली में महंगाई बढ़ेगी। ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महासचिव नवीन कुमार गुप्ता का कहना है कि अब अगर टैक्स बढ़ाएंगे तो इसका असर सामान के दाम पर भी पड़ेगा।
क्यों लिया गया फैसला
दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ा हुआ है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली आने वाले डीजल ट्रकों की वजह से नाइट्रोजन डाई आक्साइड में 22 फीसदी बढ़ोत्तरी होती है, इसीलिए ट्रकों पर टैक्स लगाया जा रहा है, लेकिन चार महीने बाद इसकी समीक्षा होगी ये जानने के लिए कि सरकार के इस कदम से बढ़ते प्रदूषण पर कितनी लगाम लगी है?