ज्योतिष : शास्त्रों के अनुसार शुक्र ग्रह को बहुत गुणवान एवं विविध स्वरूपों वाला माना जाता है। जिन लोगों की राशि में शुक्र प्रबल होता है, उनका जीवन औरों से हटकर होता है। ये लोग अक्सर कला, सौंदर्य के क्षेत्र में होते हैं। एक राशि में यह 14 वर्ष तक रहता है, इसलिए यदि इसका प्रभाव शुभ होगा तो वह भी लंबे समय तक मिलेगा और यदि अशुभ है तो उसे भी इतने ही लंबे समय तक भोगना होता है।
नेपच्यून यानी वरूण ग्रह में शुक्र की समस्त भावनाओं का समावेश होता है। शुक्र ग्रह अपने बारहवें भाव में अत्यंत शक्तिशाली व प्रभावशाली बन जाता है। मुख्य रूप से इसकी राशि मीन को माना जाता है। शुक्र ग्रह हमारे भीतर जल के तत्व को संचालित, नियंत्रित करता है। यही कारण है कि इसे वरूण देव भी कहा जाता है। वरूण देवता भी जल के ही देवता हैं।
अंक ज्योतिष में इसका सातवां स्थान है। शुक्र ग्रह की मुख्य विशेषता यह है कि यह मनुष्य को बहुत भावुक एवं संवेदनशील प्रवृत्ति का बनाता है। इसके साथ ही यह कल्पनाशीलता एवं रहस्य के गुणों का भी जिम्मेदार होता है।
शुक्र ग्रह से प्रभावित लोगों में जीवन दर्शन, अध्यात्म सहज रूप से होता है। उन्हें संगीत, फिल्म आदि का शौक होता है। शुक्र ग्रह से प्रभावित लोगों को जीवन में ख्याति भी बहुत प्राप्त होती है। लेकिन यदि इसके नकार भाव की बात करें तो यह व्यक्ति को नैराश्य, अवसाद की ओर भी धकेलता है। मानसिक अशांति, तंद्रा, बेहोशी, नशा आदि की समस्याएं भी इससे होती हैं। नींद एवं विश्राम में भी यह तत्व अड़चन पैदा करता है। जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह का अधिक प्रभाव है उन्हें जल संचय के प्रति गंभीर होना चाहिये। उन्हें चाहिये कि वे जल की बरबादी बिल्कुल न करें और प्रतिदिन वरूण मंत्र “ॐ वं वरुणाय नमः” का जाप करें।