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17 को नवरात्रि, 30 को शरद पूर्णिमा और 14 नवंबर को है दीपावली

ज्योतिष : अधिमास के चलते इस बार एक महीने देरी से नवरात्र शुरू होगा। पिछले वर्ष 17 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई थी। इस बार दो सितंबर से पितृपक्ष शुरू हुआ जो 17 सितंबर को समाप्त हो गया। 18 सिंतबंर से अधिमास लग गया। यह 28 दिन का है। इस अंतराल में कोई त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसलिए आमजन को पूरे एक महीने इंतजार करना पड़ेगा। 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होगा।

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हर 36 महीने यानि तीन वर्ष में एक महीना अधिमास का आता है। नवरात्र एक महीने देर से शुरू होने के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को पड़ेगी। जबकि यह पिछले वर्ष 27 अक्टूबर को थी।

अधिमास होने के कारण 22 अगस्त को गणेशोत्सव के बाद जितने भी बड़े त्योहार हैं, वे पिछले वर्ष की तुलना में 10 से 15 दिन देरी से पड़ेंगे। वैसे ब्राह्मण व आमजन नवरात्र के देरी से शुरू होने पर खुशी भी जता रहे हैं, क्योंकि उम्मीद है कि तब तक संभवतः कोरोना महामारी का खात्मा हो जाए और वे त्योहार अच्छे से मना सकेंगे। आमजन इस बात से भी खुश हैं कि दीपावली इस बार देर से आएगी और उन्हें तैयारियों का अवसर मिल जाएगा।

समारोह पर रहेगा प्रतिबंध

नवरात्र पर्व बिल्कुल अलग तरह से मनाया जाएगा। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मां दुर्गे की आराधना की जाएगी। माना जा रहा है कि नवरात्र पर गरबा और किसी भी तरह के समारोह पर प्रतिबंध रहेगा।

दुर्गा प्रतिमाओं की ऊंचाई 6 फीट से अधिक नहीं होगी। अधिकतम 10 गुणा 10 के पंडाल में प्रतिमा स्थापना की जा सकती है। गृह विभाग द्वारा बाजारों और दुकानों के संचालन समय के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके तहत मेडिकल स्टोर, रेस्टोरेंट, भोजनालय, ढाबे, राशन और खान-पान से संबंधित दुकानों को छोड़कर शेष दुकानें रात्रि 8 बजे बंद करना होगा। इस बारे में अलग अलग राज्य अपने स्तर पर नियमों का ऐलान करेंगे।

शरद पूर्णिमा

प्रत्येक अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में शरद पूर्णिमा को काफी महत्व दिया जाता है। इस पूर्णिमा के बाद से ही हेमंत ऋतु शुरू होती है और धीरे-धीरे सर्दी का मौसम प्रारम्भ हो जाता है।

इस दिन माता लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। इस वर्ष यानि 2020 में शुक्रवार 30 अक्टूबर की रात शरद पूर्णिमा की रात है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस कारण यह तिथि विशेष रूप चमत्कारी मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा की किरणों में रोगों को दूर करने की क्षमता होती है।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है। ऐसे में लोग इसका लाभ लेने के लिए छत पर या खुले में खीर रखकर अगले दिन सुबह उसका सेवन करते हैं। कुछ लोग चूड़ा और दूध भी भिंगोकर रखते हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को कोजोगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा (Goddess Laxmi Puja) करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में कभी भी धन की कोई कमीं नहीं रहती।

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