अपशगुन का भूत
पिछले दिनों देश के सबसे बड़े सूबे में एक घटना घटी। इस घटना का असर पूरे देश में हुआ। प्रधानमंत्री से लेकर हर किसी ने इसकी निन्दा की। चूंकि मामला संगीन था इसलिए पीड़ित परिवार के जख्मों पर मरहम लगाना भी जरूरी था, लेकिन मौके पर जाकर जख्मों पर मरहम लगाना भी खतरे से खाली नहीं था। दरअसल, यह घटना एनसीआर के उस क्षेत्र में हुई थी, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि जो मुख्यमंत्री यहां आया वह लौट के जाने के बाद इस पद पर नहीं रह जाता है। इसी अपशगुन ने भी युवा मुख्यमंत्री के कदम रोके और उन्होंने अपने दूत के जरिए पीड़ित परिवार को राजधानी बुलाकर आर्थिक मदद व सुरक्षा का आश्वासन दिया। साफ है कि इस बार ‘साइकिल’ पंचर होने से बच गई। उधर, राजधानी के कुछ प्रमुख चौराहों के आसपास एक बार फिर से खास तरह की सड़कें बनने लगी हैं। इन सड़कों को बनता देख पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता बोले, नेताजी के समय में भी जब इस तरह की सड़कें बनाई गयी थीं, उसके बाद सरकार चली गयी थी और पांच साल विपक्ष में बैठना पड़ा था। क्या फिर वही स्थिति आ रही है।