बढ़ती असहिष्णुता: अब अरुंधति रॉय ने लौटाया बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
दस्तक टाइम्स/एजेंसी: नई दिल्ली: बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने वालों की फहरिस्त में अब बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय भी शामिल हो गई हैं। अरुंधति ने अपना विरोध दर्ज़ करवाने के लिए 1989 के दौरान बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाया है।
अरुंधति का कहना है कि वे बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपना विरोध दर्ज़ करवाने के लिए पुरस्कार लौटा रही है। उन्होंने ये भी कहा है कि उन्हें पुरस्कार लौटाने पर गर्व की अनुभूति हो रही है।
पुरस्कार लौटाने का कदम उठा चुकी अरुंधति का कहना है कि देश में बीफ बैन, अल्पसंख्यकों पर हमले और साहित्यकारों की आवाज़ दबाने की कोशिशें की जा रही है, ये बेहद शर्मनाक है।
अरुंधति ने कहा कि पूरी जनता, लाखों दलित, आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई आतंक में जीने को मजबूर हैं। उन्हें हमेशा यह डर रहता है कि न जाने कब-कहां से हमला हो जाए। अगर हमारे जैसे लोग अब एक साथ नहीं खड़े हुए तो हम अलग-थलग पड़ जाएंगे या हमें दफना दिया जाएगा।
अरुंधति रॉय का कहना है कि कलाकारों और बुद्धिजीवियों का यह च्पॉलिटिकल मूवमेंटज् ऐतिहासिक है। इससे पहले ऐसा नहीं हुआ। मैं इस बात को लेकर खुश हूं कि मेरे पास एक नेशनल अवॉर्ड है, जिसे मैं लौटा सकती हूं। इससे मुझे राइटर्स, फिल्ममेकर्स और एकेडेमिक्स के पॉलिटिकल मूवमेंट में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।
गौरतलब है कि अरुंधति रॉय को बेस्ट स्क्रीनप्ले का पुरस्कार फिल्म ‘इन व्हिच एनी गिव्स इट दोज़ वन्स’ के लिए मिला था। साथ ही उनकी रचना ‘द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स’ के लिए उन्हें बुकर पुरस्कार से नवाज़ा गया था।