फरुख्खाबाद: एशिया प्रसिद्ध आलू मंडी सातनपुर में पुराना आलू नए आलू को मात दे रहा है। मौजूदा समय में पुराना आलू अट्ठारह सौ से 19 सौ रुपये प्रति पैकेट बिक रहा है। जबकि नया आलू 1471 रुपया प्रति पैकेट बिक रहा है। नए आलू के स्थान पर इस समय पुराने आलू की मांग अधिक है। जिससे पुराने आलू की कीमत में दिन-प्रतिदिन इजाफा होता चला जा रहा है।
आलू मंडी सातनपुर में आज नए आलू की कीमत 1451 रुपए पैकेट रही। एक पैकेट में 53 किलो आलू की भर्ती होती है। आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष रिंकू भैया ने बताया कि आज मंडी समिति में नए आलू की आमद केवल 350 पैकेट हुई। जबकि शीतगृह में भंडारित पुराने आलू की कीमत 18 सौ से 19 सौ रुपये प्रति पैकेट रही। नए आलू के मुकाबले पुराने आलू के भाव इस समय अच्छे मिल रहे हैं।
पुराने आलू की कीमत में हो रही दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी के संबंध में किसान नेता रूनी चुरसी के पूर्व प्रधान अरविंद राजपूत बताते हैं कि पुराना आलू खाने में लाजवाब है। चाट, पकौड़ी तथा समोसा वाले पुराने आलू को ही इस्तेमाल कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि मुंबई में सबसे ज्यादा फर्रुखाबाद के पुराने आलू की मांग है।
इस वजह से पुराने आलू की कीमत बढ़ती चली जा रही है। उनका कहना है कि नया आलू खाने में पनीरा होता है, जिसकी वजह से उसकी मांग अभी फिलहाल कम है। फिलहाल जो नए आलू की कीमत इस समय किसानों को मिल रही है वह बहुत ही अच्छी है। किसानों को अगेती फसल में भी लाभ हो रहा है।
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आलू विकास विभाग के निरीक्षक जितेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि अब पुराना आलू केवल 5 फीसदी कोल्ड शीट ग्रहों में भंडारित रह गया है। जिसकी मांग तेजी से हो रही है। नए आलू की फसल अगेती फसल 2000 हेक्टेयर भूमि पर तैयार की गई थी।
इसकी खुदाई तेजी पर है।उनका कहना है कि किसानों को नए आलू के भाव अच्छे मिल रहे हैं। उन्हें तत्काल प्रभाव से इसे बेच देना चाहिए। जिसकी खास बजह यह है कि अगेती फसल का आलू आठ दिन से ज्यादा खुदाई के बाद रोका नहीं जा सकता है। आठ दिन के बाद आलू का रंग काला पड़ जाता है। इस वजह से किसानों को जो कीमत मिल रही है उस कीमत में आलू को बेंच देना चाहिए।
उनका कहना है कि यह पहला मौका हैजब पुराने आलू ने शीत गृह मालिकों और किसानों दोनों को माला माल कर दिया है। गत वर्षों पर यदि नजर डाली जाए तो इस भक्त शीत गृह मालिकों को अपने खर्चे पर भंडारित आलू निकलवा कर कोल्ड खाली करने पड़ते हैं और हजारों कुंतल आलू फेंक दिया जाता था। किसान मंदी के चलते शीत गृहों में ही अपना आलू छोड़ जाते थे। इस साल भक्त ने ऐसा पांसा पलटा की पुराना आलू भाव मे नए आलू को मात दे रहा है।
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