लखनऊ: प्रदेश में ‘उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के सोमवार को इस पर पुनर्विचार करने की मांग पर भाजपा नेताओं ने भी पलटवार करते हुए उनसे कई सवाल पूछे हैं।
डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल और राज्यसभा सांसद बृजलाल ने सवालों की झड़ी लगाई
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल और भाजपा राज्यसभा सांसद बृजलाल ने सवाल किया कि मायावती जी, क्या आपको पता है कि लव जिहाद से सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े और अति पिछड़ी जातियां शिकार हुई हैं। क्या इन जातियों को भी सम्मान से जीने का हक नहीं है? आप बताइए आप किसके साथ हैं?
लव जिहाद में फंस कर सबसे ज्यादा दलित, पीड़ित और अति पिछड़ी जाति के लोगों ने न सिर्फ अपना मूल धर्म गंवाया बल्कि उनका अस्तित्व भी संकट में है। इन लोगों को सुरक्षा प्रदान करना क्या गुनाह है? आप बताइए मायावती जी आप किसके साथ हैं?
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दोनों नेताओं ने सवाल किया कि मायावती जी, देखा गया है कि लव जिहाद के अधिकतर मामलों में शिकार दलित और पिछड़ी जातियों की लड़कियां हुई हैं, ऐसा समाज जिसका आप खुद को मसीहा समझती हैं। आप स्पष्ट कीजिए आप किसके साथ हैं?
मायावती जी, आपकी जानकारी में ला दूं कि प्रदेश के दलित और पिछड़ी जातियों से आने वाली बेटियां सबसे ज्यादा लव जिहाद के निशाने पर हैं। आप इन दलित बेटियों के हक की बात करने के बजाए किसका साथ दे रही हैं?
इससे पहले मायावती ने आज अपने ट्वीट में कहा कि लव जिहाद को लेकर यूपी सरकार द्वारा आपाधापी में लाया गया धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेक आशंकाओं से भरा है। जबकि देश में कहीं भी जबरन व छल से धर्मान्तरण को न तो खास मान्यता व न ही स्वीकार्यता है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि इस सम्बन्ध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं। सरकार इस पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की यह मांग है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को ‘उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी।
इसमें बलपूर्वक, झूठ बोलकर, लालच देकर या अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से अथवा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन को गैर जमानती अपराध माना गया है। इसके उपबन्धों का उल्लंघन करने के लिए कम से कम 01 वर्ष अधिकतम 05 वर्ष की सजा जुर्माने की राशि 15,000 रुपये से कम नहीं होगी।
वहीं नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के सम्बन्ध में धारा-3 के उल्लंघन पर कारावास कम से कम 03 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक का होगा और जुर्माने की राशि 25,000 रुपये से कम नहीं होगी। सामूहिक धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में कारावास 03 वर्ष से कम नहीं लेकिन, 10 वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने की राशि 50,000 रुपये से कम नहीं होगी।
अध्यादेश के अनुसार धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन किये जाने पर 06 माह से 03 वर्ष तक की सजा और जुर्माने की राशि 10,000 रुपये से कम की नहीं होने का प्रावधान है।
राज्यपाल से इस एक्ट को मंजूरी मिलने के कुछ घंटे बाद ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह अध्यादेश जन मानस के खिलाफ है। लव जिहाद के खिलाफ कानून के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करने की बड़ी साजिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हम विधानसभा तथा विधान परिषद में इसका पूरा जोर लगाकर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि सपा ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है। वहीं इस एक्ट के प्रभावी होते ही बरेली में एफआईआर भी दर्ज की गई है।
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