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आईएमए की हड़ताल : तीन सौ से अधिक अस्पतालों में ओपीडी बंद, मरीज परेशान

बेगूसराय: सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा आयुर्वेद और आयुष डॉक्टरों को जनरल सर्जरी, ईएनटी और दांत के इलाज समेत 58 तरह के सर्जरी की मंजूरी देने के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा शुक्रवार को आहूत एक दिवसीय हड़ताल के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

आईएमए के आह्वान पर आयोजित हड़ताल के कारण जिले के करीब तीन सौ से अधिक निजी क्लिनिक और नर्सिंग होम की ओपीडी सेवा सुबह छह बजे से ही पूरी तरह से बंद है।

जानकारी के अभाव में जिले के दूरदराज क्षेत्र से बड़ी संख्या में मरीज सदर अस्पताल एवं निजी अस्पताल आए, लेकिन इलाज नहीं किया जा रहा है। जिससे मरीजों में हड़कंप मच गया है। इमरजेंसी सेवा चालू रखने का दावा किया गया है।

लेकिन मौसमी बीमारी समेत अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित मरीजों को लौटा दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर बिहार के चिकित्सा का हव रहने के कारण दूरदराज से बेगूसराय आए सैकड़ों मरीज क्या करें क्या ना करें में फंस गए हैं।हड़ताल के कारण अस्पतालों में नए मरीजों को दाखिल नहीं करने और ओपीडी सेवा बंद होने से मरीज एवं उनके परिजन परेशान हैं।

आईएमए के डॉ. निशांत रंजन ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा चिकित्सा के विभिन्न विधाओं का खिचड़ी करण के विरोध में 12 घंटे का हड़ताल किया गया है। आधुनिक चिकित्सा, आयुर्वेद चिकित्सा और होम्योपैथिक चिकित्सा का मिलावट कर एक विधा से प्रशिक्षित का दूसरे विधा में सर्जरी करने की अनुमति देना गलत है।

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सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन अनुमति दी

सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने अधिसूचना जारी कर जो सर्जरी करने की अनुमति दी है वह मरीजों के हित में नहीं है। एलोपैथिक और आयुष दोनों विभिन्न चीज है। दोनों का अपने स्तर पर अलग-अलग रोल है।

मरीजों की सेहत के साथ होगा खिलवाड़ 

उन्होंने बताया कि दोनों के मिलने का सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा। आर्युवेद और आयुष डॉक्टरों को सर्जरी करने के अधिकार को बताया गया है। इससे मरीजों को भविष्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर नाक, कान, आंख और त्वचा से जुड़ी माइनर सर्जरी और दांतों का इलाज कैसे कर सकते हैं। यह पूरी तरह से एलोपैथी पर निर्भर करता है। यह मरीजों की सेहत के साथ सीधे खिलवाड़ होगा।

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