नई दिल्ली (एजेंसी। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल द्वारा मृत्युदंड पाए पांच दोषियों की सजा परिवर्तित कर आजीवन कारावास किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस भेजा। सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया। जिन दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में परिवर्तित किया गया उन्हें नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के बर्बर मामलों में सजा दी गई है। दोषियों में से एक ने तो नाबालिग का सिर धड़ से अलग कर दिया था। याचिकाकर्ता और जानी मानी लेखिका पिंकी विरानी ने तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश को रद्द किए जाने की मांग की है। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने मोलाई राम संतोष कुमार यादव सुशील मुर्मू सतीश और बंटू के मृत्युदंड को बदलकर आजीवन कारावास कर दिया था। याचिकाकर्ता ने दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए सजा की तारीख निर्धारित करने की मांग की। जनहित याचिका में न्यायालय से दिशा निर्देश तय करने के लिए कहा गया है जिसके तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर सकते हों। याचिका के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा ऐसा निर्णय मामले का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण के बाद ही लिया जाना चाहिए तथा दुर्लभ मामले के सिद्धांत में गंभीर त्रुटि पाए जाने पर या जब मृत्युदंड देने का फैसला न्यायाधीशों की सर्वसम्मति से न आया हो तभी मृत्युदंड को आजीवन कारावास में तब्दील किया जाना चाहिए।