आजकल हमारे घरों में फ्रिज रखने का कुप्रचलन चल रहा है और उससे भी ज्यादा खतरनाक है फ्रिज से निकालकर ठंडा पानी पीना, फ्रिज का यह ठंडा पानी पित्ताशय के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
हमारे शरीर का तापमान 98.6 डिग्री सेल्सियस है, उसके हिसाब से हमारे शरीर के लिए 20-22 डिग्री तापमान का पानी उपयुक्त है उससे अधिक ठंडा पानी हानिकारक है। आप खुद देखें जब आप अधिक ठंडा पानी पीते हैं तो वह तुरन्त गले के नीचे नहीं जाता, पहले वह मुँह में ही रहता है जब उसका तापमान सामान्य हो जाता है, तभी गला उसे नीचे उतारता है और अधिक समय तक ठंडा पानी पीते रहने से टॉन्सिल्स की समस्या उत्पन्न होती है एवं जठरागिन मंद पड़ती है।
इसके अलावा ठंडे पानी को गर्म करने के लिए शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है और रक्त संचार भी अधिक करना पड़ता है तथा ठंडा पानी हमारे शरीर में बनने वाले पाचक रस का तापमान भी कम कर देता है जिससे भोजन के पाचन में कठिनाई होती है और ठण्डे पानी से पेट की बड़ी आंत भी सिकुड़ जाती है जो कोष्ठबध्दता (Constipation) का मूल कारण है।
हम सबका अनुभव है कि यदि हम पेड़ा, बर्फी, आइसक्रीम आदि फ्रिज मे रखते हैं तो वे जम जाते हैं और कड़े हो जाते हैं ठीक इसी प्रकार ठंडा पानी मल को जमा देता है जो पाइल्स या बड़ी आंत से सम्बन्धित रोगों का सबसे बड़ा कारण है जिसमें मल कठोर हो जाता है और अधिकांशत: मल के साथ खून आता है, इसलिए अधिक ठंडा या फ्रिज का पानी न पियें।
सुबह उठकर सबसे पहले कुल्ला या ब्रश किए बिना पानी पियें, क्योंकि सुबह की लार बहुत क्षारीय (Alkaline) होती है! प्राकृतिक रूप से पेट मे अम्ल (Acid) बनता रहता है और मुंह मे क्षार (लार) बनती है ! मुंह की क्षार जब पेट मे जाती है तो, क्षार और अम्ल दोनो मिलकर अनावेशित (न्यूट्रल) हो जाते है और जिसका भी पेट अनावेशित (न्यूट्रल) हो जाता है वह एक लम्बे समय तक निरोगी जीवन व्यतीत कर सकता है इसलिये सुबह की लार पेट में अवश्य जानी चाहियें।
सुबह की लार को यादि त्वचा पर कोई दाग – धब्बा, चोट पर, आँखों के नीचे काले घेरे और दाद-खाज खुजली आदि पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश करे तो इसका औषधीय प्रभाव होता है ! सुबह की लार शरीर के लियें अमृत समान है !
जिनका पित्त अधिक बनता है, उन्हें पानी को उबाल कर, उसे कमरे के तापमान जितना ठंडा करने के बाद ही पीना चाहिए! उन्हें गर्म पानी या गुनगुना पानी कभी नहीं पीना चाहिए। पानी को इतना उबाले कि पानी का 1/4 भाग (चतुर्थांश) वाष्पित हो जाये, फिर उसे ठंडा करके पियें!
जिनका कफ अधिक बनता हो, वो पानी को इतना उबाले कि पानी का 2/3 भाग वाष्पित हो जायें और बाकी 1/4 भाग पानी को ठंडा करके पियें!
जिनको वायु अधिक बनती हो उनको पानी को गर्म करने पर जब आधा वाष्पित हो जाये, तब उसे ठंडा करके पीने का विधान है।
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फ्रिज के ठंडे पानी को पेट मे पचने में 6 घण्टे लगते हैं, गर्म करके ठंडा किया हुआ पानी 3 घण्टे में पचता है और गुनगुना पानी पीने पर वह एक घण्टे में ही पच जाता है गर्म पानी सुपाच्य और गले की बीमारियों को दूर करने वाला होता है! इसलिए गुनगुना पानी पीना सर्वोत्त्तम है(जिनका पित्त अधिक हो उनको छोड़ कर)।
वर्षा ऋतु में वर्षा के जल को किसी पात्र में एकत्र करना चाहिए, यह जल ही सर्वोत्त्तम है, वर्षा ऋतु में नदियों, कुओं,तलाबों और नल के पानी को साफ सूती कपड़े से छान कर और उबाल कर ही पीना चाहिए।
लाभ
- मुँह के टॉन्सिल्स को ठीक होने में मदद मिलती है।
- पित्त बिगड़ने से (पेट सम्बन्धित रोग) होने वाले रोगों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
- मोटापा कम करने में सहायता होती है।
- त्वचा सम्बन्धी रोगों एवं रक्त सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है।