पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ कल्पवास, पुण्य अर्जित करने को श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
प्रयागराज : हर-हर गंगे के जयकारे के साथ माघ मेला के प्रमुख पर्व पौष पूर्णिमा का स्नान संगम एवं गंगा के विभिन्न घाटों पर शुरू हो गया। इसके साथ ही गुरुवार से तीर्थराज प्रयाग के माघ क्षेत्र में श्रद्धालुओं का कल्पवास भी प्रारम्भ हो गया।
कल्पवास भी आज से ही शुरू हो जाएगा
भोर में ही श्रद्धालुओं व कल्पवासियों का रेला मेला क्षेत्र के हर स्नान घाट की तरफ बढ़ने लगा। श्रद्धालु आज एक दुर्लभ संयोग में मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि पौष पूर्णिमा पर्व स्नान-दान के लिए अद्भुत संयोग माना जाता है। पौष पूर्णिमा स्नान के साथ ही पूरे माघ मास तक चलने वाला कल्पवास भी आज से ही शुरू हो जाएगा।
क्या होता हैं कलपवास
कल्पवास त्याग और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। इसमें संत-महात्माओं के साथ गृहस्थ भी एक माह तक पवित्र त्रिवेणी की रेती पर दिन में एक बार अपने हाथ का बनाया हुआ भोजन व तीन बार गंगा स्नान कर गंगाजल का पान भी करेंगे। किसी का दिया हुआ कुछ भी ग्रहण नहीं करेंगे बल्कि संतों-महात्माओं व गरीबों को यथा शक्ति दान करेंगे।
खाली समय में संतों के सानिध्य में भजन-पूजन, धर्म-अध्यात्म पर चर्चा करना कल्पवासियों की दिनचर्या होती है। जमीन पर ही वे निद्रा लेते हैं। जल्दी सोना और भोर में जल्दी जाग जाना उनकी नियति होती है। जबकि कोरोना काल के मद्देनजर इस वर्ष जगह-जगह होने वाले प्रवचन, सांस्कृतिक आदि कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे। प्रशासन के अनुसार सुबह दस बजे तक लगभग सात लाख लोगों ने स्नान किया।
मेला प्रशासन ने हर तरह की व्यवस्था की है
पौष पूर्णिमा के अवसर पर स्नानार्थियों व श्रद्धालुओं के लिए मेला प्रशासन ने हर तरह की व्यवस्था की है। स्नानार्थियों को सुगमता, सुविधा एवं सुरक्षित वापसी का विशेष ध्यान रखते हुए पूरी व्यवस्था कर ली गयी है। घाटों पर स्नानार्थियों को सुरक्षित रूप से स्नान कराकर वापस करने के लिए पुलिस एवं पीएसी के जवानों को घाटों पर नियुक्त किया गया है। भीड़ का अधिक दबाव होने पर यातायात व्यवस्थापन के लिए मेला क्षेत्र में डायवर्जन योजना बनायी गयी है, जो आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाये जायेंगे।
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