स्तम्भस्वास्थ्य

कैंसर को हराना है, हारना नहीं, सभी को समझाना है घबराना नहीं है

विक्रम चौरसिया

विक्रम चौरसिया : वैसे देखे तो संपूर्ण विश्व में अनेकों प्रकार की बीमारियां अपना वर्चस्वा स्थापित कर रही हैं,और चिकित्सा प्रमुख आयुर्वेद एवं अन्य माध्यमों द्वारा उन रोगों के उपचार हेतु प्रयास कर रहे हैं और सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ रोग ऐसे हैं जिनका वर्षों तक गहन अध्ययन करने के बाद भी चिकिसकों का हर प्रयास असफल ही रहा है ,ऐसी ही एक लाइलाज बीमारी है ‘कैंसर”। चिकित्सकों के अथक प्रयास के बाद भी कैंसर का का इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है। देश में तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के अत्यधिक सेवन की वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है और साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। पिछले वर्ष ही विश्व स्वस्थ्य संगठन ने भी अपने रिपोर्ट में कहा था कि 10 भारतीयों में से एक व्यक्ति के अपने जीवनकाल में कैंसर की चपेट में आने और 15 भारतीयों में से एक के इसके कारण जान गंवाने की आशंका है,साथ ही इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रोकथाम एवं देखभाल सेवाओं में निवेश की कमी के मद्देनजर वर्ष 2040 तक कैंसर के मामले 81 फीसदी बढ़ने की आशंका है ।

दोस्त यही सच है कि हमारे यहां भी साल दर साल अनेकों लोग कैंसर से पीड़ित होकर मृत्यु के ग्रास हो रहे हैं, वहीं विश्व के सर्वाधिक लोग इस बीमारी की चपेट में हैं, वर्तमान समय में कैंसर एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिससे सबसे अधिक लोगों की मृत्यु होती है। अथक प्रयासों के बावजूद भी विश्व भर में कैंसर के मरीजों की संख्या में किसी भी प्रकार से कोई कमी नहीं आ रही है, कैंसर के इस भयावह तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाने का निर्णय लिया जिसके माध्यम से लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सके और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि इस बीमारी का इलाज नहीं खोजा गया तो 2030 तक कैंसर के कुल मरीजों की संख्या 1 करोड़ से भी अधिक हो सकती है।एक पत्रिका के आंकड़ों के अनुसार साल 2005 में 7.6 लाख लोग कैंसर की चपेट में आने से मौत के आगोश में समा गए थे।

महज़ कुछ ही वर्षों में इस बीमारी के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मरने से और विश्व स्तर पर इस बीमारी के फैलने से हम सभी चिंतित हैं।कैंसर उन बीमारियों में से एक है जिसका इलाज तो अभी तक संभव नहीं हो पाया परन्तु इसे काबू करना और इससे बचाव काफी हद तक संभव है। कैंसर हो जाने पर प्रारम्भिक अवस्था में ही यदि इसका पता चल जाए तो रोगी का इलाज संभव है, भिन्न भिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग कर रोगी के शरीर से कैंसर को विभक्त किया जा सकता है। कैंसर का यदि सही समय पर पता ना लगाया जाए और उसका उपचार ना किया जाए तो मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। आप आज से ही अपने 24 घंटे में से कम से कम 10 मिनट्स समाज में जागरूकता लाने के लिए समय दे ,आप जहां है वहीं अपने देश के युवाओं को प्रेरित करे ,नशा मुक्ति के लिए अभियान चलाएं ,आज हमारे युवा वर्ग बहुत ज्यादा नशे के आदी होते जा रहे है,आपको बता दे की 2010 से ही मै खुद नशा मुक्ति के लिए जागरुकता अभियान चला रहा हूं, जितना संभव होता है उतना करने का प्रयास करता रहता हूं,इसी को लेकर पिछले वर्ष ही “राष्ट्रीय कैमूर रत्न अवार्ड” और प्रेरणा आइकॉन अवार्ड 2019 दिया गया था ।

यहां कहने का मेरा तात्पर्य है कि हमे अपने देश के युवा वर्ग पर काम करने की जरूरत है,किसी भी देश का युवा खत्म तो वह देश खत्म ,नशा पर हमेशा के लिए रोक लगाने की जरूरत है ,यह तो विश्व स्वस्थ संगठन भी बोल चुका है कि जितना तम्बाकू से राज्य सरकार को रेवेन्यू नहीं मिलता उससे ज्यादा कहीं किसी भी देश का कैंसर के इलाज में खर्च होता है ,फिर भी सरकार रोक ना लगती क्योंकि सिगरेट, तम्बाकू और शराब यह सब राज्य सरकार के हिस्से में आते जहां इनकी रेवेन्यू बहुत है लेकिन देश का युवा इससे बर्बाद हो रहा है,हमे अब मिजोरम की तरह पूरी तरह से नशा पर रोक लगाने को जरूरत है।

आप सभी से अनुरोध है कि आज से ही कैंसर से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें, कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहें, चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए। कैंसर के ज़्यादातर मामलों में फेफड़े और गालों के कैंसर देखने में आते हैं, जो तंबाकू उत्पादों का अधिक सेवन करने का ही नतीजा होता है। ऐसे मामलों में उपचार बेहद जटिल हो जाता है और मरीज़ के बचने के चांस भी कम हो जाते हैं। इसके साथ ही आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर काफ़ी ज़्यादा देखने में आ रहा है जो बेहद खतरनाक होने के साथ काफ़ी पीड़ादायक होता है। यदि सही समय पर अगर इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो इसका इलाज बेहद सरल बन जाता हैं, कैंसर से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है हम युवाओं को ही जो आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं। विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप भी कदम बढ़ाएं और खुद तथा अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए।

(यह लेखक के स्वतंत्र विचार है)

 

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