रक्षा मंत्री का नया मंत्र- ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’
नई दिल्ली : केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश के रक्षा बजट में पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत परिव्यय में 18.75% की अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 30% और पिछले 15 वर्षों में सबसे अधिक है।
भारत ने 2024 तक 35,000 करोड़ रुपये के स्वदेशी रक्षा उत्पादों का निर्यात करके 1,75,000 करोड़ रुपये का टर्नओवर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने रक्षा उद्योग में देश की तकनीकी प्रगति के साथ दुनिया का जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का नया नारा भी दिया।
रक्षामंत्री ने यह उपलब्धियां सोमवार को बजट घोषणाएं 2021-22 और भारत की रक्षा पर वेबिनार में बताईं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा 48 हजार करोड़ रुपये का सौदा हाल ही में 83 एलसीए तेजस मार्क-ए के लिए एचएएल से किया गया है। अब स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) के अनुबंध पर भी जल्द ही हस्ताक्षर होने की संभावना है।
I would therefore urge our industry partners and the users to remain forward looking, and to ensure that advancement in technology becomes an inherent factor, for taking forward this mutually beneficial relationship: RM
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) February 22, 2021
रक्षा मंत्रालय ने ऐसे कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक घरेलू और विदेशी पूंजी खरीद मार्गों में पूंजी खरीद बजट का द्विभाजन किया जा रहा है, ताकि घरेलू उद्योगों से खरीद सुनिश्चित की जा सके। राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा निर्माण में स्वदेशीकरण का दीर्घकालिक महत्व यह बताता है कि हम भविष्य के लिए भारतीय रक्षा उद्योग का निर्माण करने के लिए स्वेच्छा से अपनाएंगे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-2022 के लिए केंद्रीय बजट हमारी सरकार की अनूठी पहल है। इसे दूरदर्शी एजेंडा के तहत बनाया गया है जो देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए सहायता प्रदान करेगा। कोरोना महामारी विशेष रूप से सामान्य और औद्योगिक क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए एक गंभीर झटका थी, इसीलिए यह पहला डिजिटल केंद्रीय बजट कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।
कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा लघु उद्योगों के सामने चुनौतियां आईं थीं, इसीलिए हमारा उद्देश्य न केवल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना था, बल्कि इस चुनौती के परिणामस्वरूप अवसरों की तलाश भी करना था। रक्षा खरीद में दिक्कतों का सामना हम अपनी आकांक्षाओं, क्षमता विकास की पहल और प्रौद्योगिकी में प्रगति से कर रहे हैं।
The Defence Budget has seen an unprecedented increase of 18.75% in capital outlay, over the last year, and 30% over the year before, which is the highest in the last 15 years: Raksha Mantri
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) February 22, 2021
राजनाथ सिंह ने रक्षा उद्योग के भागीदारों और उपयोगकर्ताओं से आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि इस पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी में उन्नति का कारण बनें। रक्षा मंत्री ने कहा कि घरेलू खरीद पर 2021-22 के लिए परिव्यय का लगभग 63% निवेश करने की योजना बनाई गई है, यानी 2021-22 के दौरान घरेलू रक्षा खरीद पर लगभग 70221 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इससे लघु उद्योगों और स्टार्ट-अप सहित घरेलू खरीद पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इससे रक्षा क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा। भारत सरकार ने पिछले छह वर्षों में कई सुधार किए हैं। विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने, भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने और संयुक्त उद्यम विकसित करने और रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर सरकार का सबसे ज्यादा जोर है।
Speaking at the Webinar for effective implementation of Union Budget provisions in the Defence Sector. https://t.co/2gstvbmPh5
— Narendra Modi (@narendramodi) February 22, 2021
उन्होंने कहा कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए डीएपी-2020 में स्वदेशी उपकरणों की खरीद को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। वर्तमान वर्ष के दौरान 75000 करोड़ मूल्य के समझौते किये गए हैं जिसमें से 87% भारत में बनाने से संबंधित हैं। इन सुधारों के कारण रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 200% से अधिक की वृद्धि हुई है। पिछले छह वर्षों में रक्षा क्षेत्र में एफडीआई के लायक 2,871 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 100% तक की वृद्धि की है। हमारी पहल से पिछले छह वर्षों में रक्षा निर्यात में 700% की वृद्धि हुई है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) ने 2020 में दुनिया के शीर्ष 25 निर्यातकों की सूची में भारत को भी शामिल किया है।
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