असलम शेर खान ने 1975 में भारत के लिये हॉकी वर्ल्डकप में किया था कमाल
स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय हॉकी के इतिहास में 15 मार्च का अधिक महत्व है. इसी दिन 46 वर्ष पहले अजीत पाल सिंह की कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने कुआलालंपुर में अपने पहले और एकमात्र वर्ल्ड कप में जीत हासिल की थी. भारत पाकिस्तान को 2-1 से मात देकर विश्व चैंपियन बना था.
हालांकि, फाइनल में विजयी गोल करने वाले अशोक कुमार को मेजबान मलेशिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच के आखिरी पल नहीं भूलते हैं. ये वो पल था जब भारत 1-2 से पीछे था और मैच खत्म होने में पांच मिनट बचे थे. यहां असलम शेर खान को माइकल किंडो की जगह भेजना टीम के लिये सही साबित हुआ था.
अशोक याद करते हैं कि मलेशिया से सेमीफाइनल मुकाबले से पहले बस होटल से मर्डेका स्टेडियम जा रही थी. फरमाइश पर गानों का दौर चल था. वो गाने गा रहे थे, लेकिन असलम चुप थे.
किसी ने पूछा असलम उदास क्यों हो? उन्होंने बोला कि उन्हें क्यों नहीं खिलाया जा रहा? दरअसल असलम टूर्नामेंट में एक भी मुकाबला नहीं खेले थे. टीम मेंबर्स और उन्होंने असलम से बोला कि जिस तरह 1936 के ओलंपिक में उनके पापा ध्यानचंद ने तुम्हारे पापा अहमद शेर खान की सेवाएं लीं उसी तरह तुम्हें भी खिलाया जाएगा.
मर्डेका स्टेडियम में 45 से 50 हजार दर्शक थे. मलेशिया हॉलैंड जैसी टीम को मात देकर आयी थी और उसके समर्थकों ने स्टेडियम सिर पर उठाया था. अशोक याद करते हैं कि एक के बाद एक हमले हुए थे, लेकिन गोल नहीं आ रहा था. टीम के पसीने छूटे थे. ऐसे में माइकल किंडो की जगह असलम शेर खान को भेजा दिया गया. इस दौरान उन्होंने पेनाल्टी कार्नर दिला दिया.
असलम ने अभी तक स्टिक से गेंद टच नहीं की थी कि कप्तान ने बोला कि सुरजीत की जगह उन्हें हिट लगानी है. गोविंदा ने गेंद पुश की अजीत पाल ने उसे रोका और उन्होंने असलम की हिट के बाद सीधे गोल पोस्ट पर गेंद टकराने की आवाज सुनाई दी थी. फिर थोड़ी देर में हरचरण ने गोल कर टीम को फाइनल में जगह बनाई थी.
इस गोल का रिजल्ट ये रहा कि असलम को फाइनल में किंडो की जगह मिली. अशोक खुलासा करते हैं कि ये असलम ही थे जिन्होंने कम से कम तीन से चार गोल बचाये अगर वो नहीं होते तो मैच का रिजल्ट दूसरा हो सकता था. इसी तरह पाक के पास मंजूर जूनियर नहीं होते तो भारत की जीत का अंतर और बड़ा होता.
अशोक बताते हैं कि उन्होंने और गोविंदा ने मुकाबले से पहले रणनीति बनाई कि आक्रमण के दौरान अगर उनसे गेंद छिनती है और पलट के आक्रमण होता है तो वे दोनों सीधे 25 गज की रेखा पर जाकर रक्षण करेंगे. पूरे मुकाबले में उन्होंने यही किया और ये आपसी समझ काम आई.
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