नार्वे में होली पर हुआ अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद और काव्य सम्मेलन
नई दिल्ली: नार्वे में होली पर अन्तर्राष्ट्रीय परिसंवाद और काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध समालोचक और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कलासंकाय ने होली को उत्साह और सर्वमंगल का पर्व बताया और होली पर सभी की बधाई दी।
हालैण्ड के शिक्षाविद डॉ मोहनकांत गौतम जी ने प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल के साहित्यिक अवदान की चर्चा करते हुए नार्वे से होली पर संगोष्ठी और कवि सम्मेलन के आयोजन बधाई और शुभकामनायें दीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ राम गोपाल भारतीय ने गायत्री मन्त्र से करते हुए अपनी गज़लें सुनायीं। काव्यगोष्ठी में शामिल होने वाले कवियों में नार्वे से एस एच प्रोमिला देवी, गुरु दर्शन शर्मा, सिगरीद मारिये रेफ्सुम, पूर्व टाउन मेयर थूर स्ताइन विन्गेर, माया भारती और सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’, स्वीडेन से सुरेश पाण्डेय, ब्रिटेन से जय वर्मा और डॉ कृष्ण कुमार, बर्लिन जर्मनी से समता मल्होत्रा, न्यू जर्सी यूएसए से थे राम बाबू गौतम, कनाडा से नीरजा शुक्ल आदि थे।
भारत से काव्यपाठ करने वाले सुप्रसिद्ध कवि सूर्य कुमार पांडेय, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी, डॉ. मंजु शुक्ल, न साहित्य त्रिवेणी के संपादक डॉ वीर सिंह मार्तण्ड, अवधी पत्रिका भाखा के संपादक डॉ. गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’, मनोज कुमार मनोज, लखनऊ विश्वविद्यालय से डॉ ऋचा पाण्डेय, इलाश्री जायसवाल, अवधी फ़िल्म और साहित्य शोध संस्थान लालगंज रायबरेली के निदेशक बीरेन्द्र शुक्ल, आशा तिवारी, आशारानी शुक्ल, विशाल पाण्डेय थे। आर्य लेखक परिषद् के अखिलेश आर्येन्दु ने होली को आनन्द-उत्सव का पर्व बताया।
केंद्रीय हिन्दी निदेशालय में सहायक निदेशक डॉ दीपक पांडेय और केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के डॉ. दिग्विजय शर्मा और राजीव सिंह ने अन्त में भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे को आयोजन के लिए बधाई दी।
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, नार्वे के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने कहा कि विदेशों में भारतीय पर्वों को पसन्द किया जाता है और भारतीय भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
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