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पैरोल भी मिल गई, जेल के दरवाजे भी खुल गए, लेकिन घर नहीं जाना चाहता सजायाफ्ता बंदी

नोएडा. अगर किसी सजायाफ्ता बंदी (Prisoner) को सजा के दौरान ही घर जाने का मौका दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो इस मौके का फायदा न उठाए. बिना देर किए फौरन ही अपना सामान बांधकर जाते हुए जेल को एक बार मुड़कर भी नहीं देखेगा, लेकिन गौतमबुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) की जिला जेल में एक बंदी ऐसा भी है, जिसे पैरोल मिल गई है, लेकिन वो अपने घर नहीं जाना चाहता है. घर न जाने के संबंध में उसने जेल प्रशासन को लिखकर भी दे दिया है. यह बंदी बनारस का रहने वाला है ओर हत्या के एक मुकदमे में कोर्ट से मिली सजा काट रहा है.

जानकारी के अनुसार, कैदी संदीप बनारस का रहने वाला है. नोएडा में एक मर्डर के मामले में उसे कोर्ट ने सजा सुनाई हुई है. जानकारों की मानें तो इस साल के आखिर में उसकी सजा पूरी भी होने वाली है. वहीं, कोरोना महामारी के चलते जेल के बंदियों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने नियमों के तहत पैरोल देने की योजना चला रही है.

जेल में इस वक्त कुल 3 हजार बंदी है. इनमें से 27 बंदियों को पैरोल और 500 को अंतरिम जमानत दी गई है. पैरोल पाने वाले सभी 26 बंदी अपने घरों को चले गए हैं, लेकिन संदीप अपने घर नहीं गया है. संदीप ने जेल प्रशासन को लिखे पत्र में गुजारिश करते हुए कहा है कि मैं जेल में हर रोज सुन रहा हूं कि बाहर कोरोना का संक्रमण बहुत फैला हुआ है. मेरे शहर बनारस के हालात भी अच्छे नहीं हैं. जबकि जेल में संक्रमण नहीं है और यहां पर कोरोना की वैक्सीन भी लग रही है. इसलिए मैं अपने घर नहीं जाना चाहता हूं. संदीप का लेटर मिलने के बाद जेल प्रशासन भी उसे घर भेजने के लिए सख्ती नहीं कर रहा है.

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