नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बाद बिहार में अब ब्लैक फंगस ने परेशानी बढ़ा दी है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना के आंकड़ों में ब्लैक फंगस से पुरुषों को अधिक खतरा देखने को मिला है। महज 20-25 फीसद महिलाएं, जबकि 75-80 फीसद पुरुष इस बीमारी के शिकार हुए हैं।
पटना एम्स की ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. क्रांति भावना ने बताया कि ब्लैक फंगस कोरोना संक्रमण के बाद होने वाली बीमारी है। यह शुगर के अनियंत्रित होने के बाद खतरनाक हो जाती है। इसलिए मरीजों को कोविड के बाद 50-60 दिनों तक खुद को ज्यादा सुरक्षित रखना होता है। कोविड संक्रमितों में महिलाओं की संख्या भी अपेक्षाकृत कम हैं। उनमें शुगर की समस्याएं भी कम होती हैं। उनका बाहर आना-जाना कम रहता है। घर में रहकर वे साफ-सफाई पर खास ध्यान देती हैं।पटना एम्स में ब्लैक फंगस के 115 मरीज भर्ती हो चुके हैं। 15 को डिस्चार्ज किया जा चुका है, जबकि 50 से अधिक का आपरेशन हो चुका है।
आइजीआइएमएस में अब तक 130 मरीज उपचार करा चुके हैं। इनमें 65 का आपरेशन हो चुका है। पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच) व नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल (एनएमसीएच) में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डा. मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस के अब तक 80 फीसद पुरुष मरीज आए हैं, जबकि 20 फीसद महिलाएं भर्ती हुई हैं।
सभी का उपचार जारी है। आइजीआइएमएस में 65 मरीजों का आपरेशन किया जा चुका है। ये सभी साइनस प्रभावित थे। 28 मरीजों की नाक के साथ आंख भी प्रभावित थी। 15 मरीजों में नाक और आंख के साथ ही दिमाग में भी ब्लैक फंगस पाया गया।