स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफ़ाई कर चुके 125 किलो वेट कैटेगरी के पहलवान सुमित के पहले डोप टेस्ट में फेल होने के बाद उनकी जगह रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया किसी अन्य पहलवान को नहीं भेजेगा.
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर ने बोला कि सुमित बुल्गारिया में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के तत्वाधान में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग ओलंपिक क्वालीफाइंग इवेंट में लिए सैंपल में पॉजिटिव निकले थे.
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ये सैंपल इंडिया के बाहर की एजेंसी ने लिया था. ऐसे में नियमों के चलते देश का कोटा भी खत्म हो जाता है. ओलंपिक नियमों के मुताबिक पहलवान देश के लिए कोटा हासिल करता है और नेशनल फेडरेशन उसे किसी को भी ट्रांसफर कर सकता है.
तोमर के अनुसार, सुमित का सैंपल भारत में नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की तरफ से होता और वो उसमें पॉजिटिव निकलते तो कोटा किसी अन्य प्लेयर को मिल सकता था लेकिन सुमित का सैंपल देश के बाहर हुआ है, इसलिए प्लेयर पर प्रतिबंध के साथ ही देश का कोटा भी खत्म हुआ है.
इसके साथ सुमित के डोप में फेल होने पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर 16 लाख का जुर्माना भी लगाया है. सुमित अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया गया है.
तोमर ने बोला कि सुमित के बी सैंपल के बाद सुनवाई के दौरान फेडरेशन भी अपना पक्ष रखेगा. सुमित का ए सैंपल पॉजिटिव निकलने के बाद बी सैंपल का परीक्षण होगा.
सुमित को 10 जून तक वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी को आवेदन करना होगा. बी सैंपल आने के बाद ही सुमित को अपना पक्ष वाडा और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के सामने रखना होगा. फेडरेशन भी अपना पक्ष रखेगा.
दरअसल, डोप के लिए सैंपल वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) और इससे मान्यता प्राप्त किसी देश की नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी लेती है. नाडा सैंपल की रिपोर्ट वाडा को भी भेजती है. जिसके बाद वाडा और नाडा की तरफ से प्लेयर पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
सूत्रों के अनुसार सुमित अप्रैल में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप से आने के बाद कैंप में ही थे और मई में वर्ल्ड रेसलिंग क्वॉलीफाइंग इवेंट के लिए गए थे. सुमित को एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप के दौरान घुटने में चोट लगी थी. वह कैंप में थे. ऐसे में मेडिकल टीम को उनके चोट की जानकारी थी. मेडिकल टीम को उनके दवा लेने के बारे में पता था.
इस पर तोमर का बोलना है कि सुमित इंटरनेशनल स्तर के पहलवान हैं. उन्हें पता है कि प्रतिबंधित दवा कौन सी है. हमेश देखरेख रखना मुश्किल है. उन्होंने अधिक दर्द होने पर आयुर्वेद की दवा ली थी.
वैसे रियो ओलंपिक से पहले भी सुमित ओलंपिक क्वॉलीफायर के दौरान शुरुआती मैच हारने के बाद स्टेडियम से ही चले गये थे और रेपचेज मैच नहीं खेला था. बाद में रेपचेज में विजेता बने पहलवान को ओलंपिक टिकट हासिल हुआ था. इसके बाद रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कार्रवाई की थी.
बताते चले कि ये दूसरी बार है, जब ओलंपिक से पहले कोई भारतीय पहलवान डोप टेस्ट में फेल हुआ हो. इससे पहले 2016 में रियो ओलंपिक से पहले पहलवान नरसिंह यादव का मामला था.
2016 में 74 किलो वेट में नरसिंह और 2 बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार दावेदार थे. सुशील ओलंपिक क्वालीफायर्स के ट्रायल में भाग नहीं ले पाए. इसके बाद नरसिंह को ओलंपिक क्वालीफायर्स इवेंट के लिए भेजा गया. नरसिंह ने अपनी प्रतिभा से कोटा हासिल किया. बाद में उन पर डोपिंग का डंक लग गया.