भव्य मंदिर निर्माण राम द्रोहियों को बर्दाश्त नहीं हो रहा: केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ. अयोध्या में राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े कथित जमीन घोटाले पर सियासत तेज हो गई है. विपक्ष एकसुर में सत्ताधारी बीजेपी पर जमकर निशाना साध रहा है. वहीं, बीजेपी ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है. अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी जमीन घोटाले का आरोप लगाने वालों पर तीखा हमला बोला है. डिप्टी सीएम ने मंगलवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट कर निशाना साधा. मौर्य ने विरोधियों को उपदेश ना देने की नसीहत दी है. डिप्टी सीएम ने ट्वीट कर कहा, “राम भक्तों को रामद्रोही उपदेश न दें. राम भक्तों का भरोसा अटल, राजनीति स्वीकार नहीं.” मौर्य ने ये भी कहा कि रामलला का भव्य मंदिर निर्माण राम द्रोहियों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है. इसलिए जमीन घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है.
उधर, सीएम योगी आदित्यनाथ ने जमीन सौदे को लेकर अयोध्या के अधिकारियों से जानकारी मांगी है. उन्होंने अधिकारियों से इससे संबंधित सारी जानकारी ली. दरअसल, आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत वाली जमीन साढ़े 18 करोड़ रुपये में खरीदी. उन्होंने कहा कि यह सीधे-सीधे धन शोधन का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराए.
संजय सिंह ने कुछ दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के नाम पर कोई घोटाला और भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करेगा. राम जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर चंपत राय जी ने करोड़ों रुपए चंपत कर दिए. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अयोध्या सदर तहसील के बाग बिजैसी गांव में पांच करोड़ 80 लाख रुपये की मालियत वाली गाटा संख्या 243, 244 और 246 की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी नामक व्यक्तियों ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से 18 मार्च को दो करोड़ रुपए में खरीदी थी. शाम सात बजकर 10 मिनट पर हुई इस जमीन खरीद में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने थें. उसके ठीक पांच मिनट के बाद इसी जमीन को चंपत राय ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से साढ़े 18 करोड़ रुपये में खरीदा, जिसमें से 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए पेशगी के तौर पर दिए गए.