ज्योतिष : अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा लगाने की परम्परा है। तुलसी को धार्मिक महत्व के साथ ही कई औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। एकादशी पर तुलसी की पूजा करने का खास महत्व होता है, लेकिन निर्जला एकादशी पर एक तुलसी पूजा करना जरूरी माना गया है। शास्त्रों में तुलसी को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है और तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और विष्णु भी।
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें, उसके बाद तुलसी के पौधे में थोड़ा सा गंगाजल डालें और उसके बाद थोड़ा सा कच्चा दूध चढ़ाएं। सुहागिन महिलाएं मां तुलसी को श्रृंगार का सभी सामान चढ़ा सकती हैं। इसके तुलसी के नीचे दीपक जलाएं और हल्दी व सिंदूर चढ़ाएं। उसके बाद मां लक्ष्मी की आरती करें और कुछ मिष्ठान का भोग लगाएं। वर्ष में कुल 24 एकादशी होती है और इनमें सर्वाधिक शुभफलदायी निर्जला एकादशी मानी जाती है। इस दिन व्रत करने वाले को अन्य 23 एकादशियों का व्रत करने के बराबर पुण्य मिलता है।
हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह एकादशी 21 जून को पड़ रही है। इस दिन कुछ लोग निर्जला व्रत भी करते हैं तो वहीं कुछ लोग इस दिन एक पहर फलाहार करते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय हैं तो इसलिए निर्जला एकादशी के दिन तुलसीजी की पूजा करना जरूरी माना गया है। ऐसा करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है परलोक में भी किसी चीज की कमी नहीं रहती है।