आखिर ट्रैफिक सिग्नल में लाल, पीले और हरे रंग का ही क्यों होता है इस्तेमाल? जानिए यहां
नई दिल्ली: ट्रैफिक नियमों की जानकारी होने से हम दुर्घटना जैसी कई मुसीबतों से बच सकते हैं. आपने ट्रैफिक सिग्नल पर लगी तीन रंग की (लाल, पीला और हरा) को देखा होगा. जिसमें लाल रंग रुकने को प्रदर्शित करता है. वहीं पीला होने पर होने पर आप तैयार हो जाते है और हरा होते ही आप चल देते है. लेकिन आपने कभी सोंचा है कि इन लाइटों में लाल, पीला और हरे रंग का ही क्यों प्रयोग किया जाता है. अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं…
लाल रंग
दरअसल अन्य रंगों की अपेक्षा लाल रंग ज्यादा गाढ़ा होता है. जो आंखों की रेटिना पर सबसे पहले प्रभाव छोड़ता है. इसके काफी दूरी से देखा जा सकता है. यह इस बात का संकेत देता है कि आगे खतरा है.
पीले रंग का इस्तेमाल ट्रैफिक लाइट में इसलिए भी करते हैं क्योंकि इसे ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक भी मानते हैं। इसका यह भी अर्थ होता है कि आप पहले अपनी सारी ऊर्जा समेट लें फिर सड़क पर चलने के लिए अपने आपको तैयार करें.
पीला रंग
ट्रैफिक सिग्नल में प्रयोग किए जाने वाले पीला रंग ऊर्जा को प्रदर्शित करता है. यानी यह रंग संकेत देता है कि अपनी ऊर्जा को समेट कर दोबारा सड़क पर चलने के लिए अपने आपको तैयार कर लें.
हरा रंग
हरे रंग को प्रकृति और शांति का प्रतीक माना जाता है. यह हमारी आंखों को चुभने की जगह सुकून पहुंचाता है. ये रंग खतरे के बिल्कुल विपरीत होता है. यह इशारा देता है कि आप किसी भी खतरे के बिना आगे सड़क पर चल सकते हैं.
इस जगह लगी थी दुनिया की पहली ट्रैफिक लाइट
दुनिया में सबसे पहली ट्रैफिक लाइट 10 दिसंबर 1868 को लंदन के ब्रिटिश हाउस ऑफ पार्लियामेंट के सामने लगाया गया था. जिसे जेके नाईट नाम के रेलवे इंजीनियर ने लगाया था. रात में दिखने के लिये इसमें गैस का प्रयोग किया जाता था. उस समय सिर्फ दो ही रंगों लाल और हरे का प्रयोग किया जाता था.