ओपीडी में आ रहे 2 हजार मरीज लेकिन न स्कैनिंग न ही साेशल डिस्टेंसिंग, अस्पताल में ही काेराेना का रिस्क
मगर अब प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में ना ताे मरीजाें की स्कैनिंग की जा रही है और ना ही साेशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। मास्क भी कई मरीज नाक के नीचे तक लगाते हैं। ऐसे में यहां पर अब सबसे ज्यादा संक्रमण का डर बना हुआ है। काेराेना की पहली लहर में आईजीएमसी प्रशासन काफी सतर्क था। गेट पर मरीजाें की पहले स्कैनिंग हाेती थी।
वहां पर जिस मरीज में सर्दी, जुकाम और बुखार के लक्षण हाेते थे, उसे फ्लू ओपीडी में भेजा जाता था। काेराेना टेस्टिंग की रिपाेर्ट आने के बाद मरीज का दूसरा इलाज शुरू हाेता था। मगर अब यहां पर स्कैनर भी हटा दिया गया है। मरीज सीधे पर्ची काउंटर पर जाते हैं और पर्ची बनाने के लिए कताराें में लग जाते हैं।
लिहाजा अब यहां पर काेराेना संक्रमण का ज्यादा खतरा हाे गया है, क्याेंकि बिना स्कैनिंग के काेई भी मरीज संक्रमण फैला सकता है। इस बारे में आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डाॅ. राहुल गुप्ता का कहना है कि साेशल डिस्टेंसिंग बनाने और काेराेना नियमाें का पालन करवाने के लिए एकस्ट्रा गार्ड लगाए गए हैं। लाेगाें काे भी अपनी जिम्मेवारी समझनी चाहिए और नियमाें का पालन करना चाहिए।
यहां रहती है ज्यादा भीड़
आईजीएमसी में सबसे ज्यादा भीड़ पर्ची काउंटर पर रहती है। यहां पर सुबह ही लाेग कताराें में लग जाते हैं। इसके बाद ओपीडी के बाहर खासकर मेडिसन और ऑार्थाे ओपीडी के बाहर लंबी कतारें रहती हैं। जबकि लैब में भी सैकड़ाें मरीज कताराें में लगते हैं। इन सभी जगहाें पर संक्रमण फैलने का डर है।
बिना स्कैनिंग के मरीजाें काे संक्रमित हाेने से बचाना मुश्किल है। क्याेंकि भीड़ में कई मरीज ऐसे हाेते हैं, जाे ना ताे मास्क सही ढंग से लगाते हैं और ना ही वह साेशल डिस्टेंसिंग रखते हैं। हालांकि प्रशासन ने यहां पर सुरक्षा कर्मियाें काे साेशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए रखा है, मगर उनके लिए भी अब भीड़ काे कंट्राेल करना मुश्किल है।
तीन गुना तक बढ़ी एक सप्ताह में ओपीडी
आईजीएमसी में बीते एक सप्ताह में ओपीडी तीन गुना तक बढ़ गई है। जहां काेराेना कर्फ्यू की बंदिशाें में ओपीडी मात्र 500 से 600 तक ही पहुंच रही थी, अनलाॅक हाेते ही यह अब 1800 से 2000 तक पहुंच गई है। साेमवार से वीरवार तक आईजीएमसी में काफी भीड़ रहती है। क्याेंकि जाे मरीज बीते एक माह से जांच के लिए नहीं आ सके थे, वह अब यहां पर पहुंच रहे हैं और डाॅक्टराें काे अपना मर्ज बता रहे हैं।
शनिवार के दिन भी आईजीएमसी में 1100 के करीब मरीज पहुंचे। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईजीएमसी में काेराेना काे हल्के में लेना कितना भारी पड़ सकता है। यहां पर मरीजाें के साथ-साथ उनके साथ आए तीमारदाराें के संक्रमित हाेने का भी डर बना हुआ है।
पहले ऐसी थीं व्यवस्थाएं
काेराेना की पहली लहर में बीते वर्ष आईजीएमसी में काफी सख्ती थी, जहां गेट पर ही सभी मरीजाें की स्कैनिंग करने उन्हें पर्ची काउंटर पर भेजा जाता था, वहीं साेशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए भी सुरक्षा कर्मियाें की ड्यूटियां हर जगह रहती थी। संदिग्ध मरीजाें काे सीधे फ्लू ओपीडी में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता था। मगर अब यहां पर काेई भी व्यवस्था नहीं है।
यहां तक की साेशल डिस्टेंसिंग और मास्क भी खानापूर्ति रह गया है। यहां तक की फ्लू ओपीडी के लिए भी अब डाॅक्टर ओपीडी से ही भेज रहे हैं, जबकि उससे पहले मरीज कई जगह पर मरीजाें के साथ कताराें में रहता है।