मायावती के बंगले पर कोर्ट को जवाब देगी अखिलेश सरकार
न्यायमूर्ति सत्येन्द्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आदित्य नाथ मित्तल की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यह आदेश स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। इसमें याची ने सवाल किया है कि माल एवेन्यू में मायावती को किस प्रक्रिया के तहत बंगला आवंटित किया गया। याची ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की भी गुजारिश की है।
इससे पहले कोर्ट ने राज्य संपत्ति अफसर को तलब कर पूछा था कि मायावती को ट्रांसफर किए गए बंगले की तरह शहर में और कितने बंगले एक में मिलाए गए हैं। इस सिलसिले में राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज सिंह यादव कोर्ट में पेश हुए और उनकी ओर से सरकारी वकील ने पूरक हलफनामा दाखिल किया।
साथ ही राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता ने शहर में अन्य पार्टियों के लिए बंगले एक में मिलाने के ब्योरे समेत जवाबी हलफनामा दाखिल करने को समय दिए जाने की गुजारिश की। इस पर कोर्ट ने मामले को 9 दिसंबर को सूचीबद्ध करने के निर्देश देकर राज्य संपत्ति अधिकारी पुन: पेश होने से छूट दे दी।
छह फरवरी 2008 के आफिस मेमोरेंडम के जरिए 13-ए के सामने का आवंटन निरस्त दिया गया और 26 मार्च 2008 को मायावती को बंगला नं. 2 आवंटित कर दिया गया। इसके बाद 9 जुलाई 2008 को हुई कैबिनेट बैठक में बंगला नं. 2 और 13-ए को एक में मिलाने का निर्णय लिया गया। ये दोनों बंगले एक में मिलाकर इसका एक नया बंगला नंबर 13, मालएवेन्यू किया गया और इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को अलॉट कर दिया गया।
3 अक्तूबर 2008 को जारी आदेश के तहत फिर उस बंगले का नंबर 13 से बदलकर 13-ए कर दिया गया। कैबिनेट निर्णय के ही तहत माल एवेन्यू के बंगला नं. 12 और 12-ए को मिलाकर नया बंगला नं. 12 बनाया गया।
इसे बहुजन समाज पार्टी के दफ्तर के रूप में आवंटित किया गया। 47 पन्नों के हलफनामे में यह भी कहा गया कि राजनीतिक पार्टियों को सरकारी आवास का आवंटन राज्य सरकार की नीति के तहत किया गया। यह पॉलिसी 22 जून 1982 केशासनादेश में अधिसूचित की गई है।