नई दिल्ली (एजेंसी)। सर्वोच्च न्यायालय ने 28 अक्टूबर के आदेश का पालन करने में विफल रहने के कारण गुरुवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और दो निदेशकों की विदेश यात्रा पर रोक लगा दी। न्यायालय ने 28 अक्टूबर के आदेश में सहारा समूह की रियल एस्टेट और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड-को निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये वापस करने की गारंटी के तौर पर अपनी 2० हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का गैर विवादित मालिकाना हक जमा करने का आदेश दिया था। दोनों कंपनियों ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचरों (ओएफसीडी) के जरिए निवेशकों से संपत्ति ली थी। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की पीठ ने कहा ‘‘प्रथम दृष्टया हम इस बात पर संतुष्ट हैं कि 28 अक्टूबर 2०13 के हमारे आदेश पर अक्षरश: अमल नहीं हुआ। हम सभी अवज्ञा करने वालों को देश नहीं छोड़ने का निर्देश देते हैं।’’ अदालत ने यह भी आदेश दिया कि 28 अक्टूबर के आदेश का पालन किए बिना सहारा समूह अपनी संपत्ति न तो बेचे और न ही इसे खुद से अलग करे। वरिष्ठ वकील सी.ए. सुंदरम ने यह दलील दी ‘‘हमने वरसोवा संपत्ति का मालिकाना हक जमा कर दिया है।’’ इस पर न्यायमूर्ति खेहर ने कहा ‘‘हम आप पर सहारा समूह की किसी भी संपत्ति को बेचने से रोक लगाते हैं।’’